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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क:जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के गायब होने के मामले में सोमवार को दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को इस मामले को बंद करने की अनुमति दे दी। नजीब के पिता की यह लड़ाई नौ वर्षों से न्याय पाने की थी, लेकिन सीबीआई ने अपनी जांच बंद कर दी, इस पर नजीब की मां फातिमा नफीस ने जांच एजेंसियों की ‘लापरवाही’ का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वह अपनी अंतिम सांस तक लड़ाई जारी रखेंगी और जरूरत पड़ी तो उच्चतम न्यायालय तक भी न्याय के लिए जाएंगी।
कैसे उम्मीद छोड़ूं?
नजीब अहमद, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के माही-मांडवी छात्रावास में प्रथम वर्ष का छात्र था अक्टूबर 2016 में लापता हो गया था। उसके लापता होने से एक दिन पहले उसकी कथित तौर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े छात्रों के साथ झड़प हुई थी। शुरुआत में इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस ने की, जिसके बाद इसे सीबीआई को सौंपा गया। फातिमा नफीस ने फेसबुक पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि नौ साल हो चुके हैं, लेकिन जांच एजेंसियों की लापरवाही के कारण अब मामला बंद करने की रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत की गई है। उन्होंने कहा, “मैं बार-बार खुद से पूछती हूं कि कैसे उम्मीद छोड़ूं? मेरा बेटा है, मुझे वापस चाहिए। अगर इस लड़ाई के लिए मुझे देश की हर अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़े तो मैं करूंगी।
सीबीआई ने अक्टूबर 2018 में मामले की जांच बंद की
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सीबीआई ने अक्टूबर 2018 में इस मामले की जांच बंद कर दी थी, क्योंकि नजीब का कोई सुराग नहीं मिला था। दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद एजेंसी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट अदालत में जमा की। नफीस के वकील ने इस मामले को राजनीतिक मामला बताया और कहा कि सीबीआई ने आकाओं के दबाव में आकर जांच से पीछे हटना चुना। हालांकि अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, लेकिन साथ ही यह आदेश दिया है कि अगर भविष्य में नजीब के बारे में कोई विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है तो जांच फिर से शुरू की जाएगी और अदालत को सूचित किया जाएगा।
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