नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली पुलिस ने डॉक्टर डेथ के नाम से कुख्यात देवेंद्र शर्मा राजस्थान के दौसा से गिरफ्तार किया है। आश्रम में पुजारी बनकर रह रहा था। साल 1994 से 2004 के बीच 125 लोगों की गलत तरह से किडनी ट्रांसप्लांट कराई। आरोप है कि उसने 21 ट्रक–टैक्सी ड्राइवरों के मर्डर करके उप्र के कासगंज में मगरमच्छ वाली हजारा नहर में फेंके। दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा की अदालतों ने 7 मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई थी। साल 2023 में जेल से 2 महीने की पैरोल पर बाहर आया, तब से फरार था। दिल्ली पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली।
देवेंद्र शर्मा के जघन्य अपराध
देवेंद्र शर्मा, जिसे 'डॉक्टर डेथ' के नाम से जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से कुख्यात सीरियल किलर और अवैध किडनी रैकेट का मास्टरमाइंड बना। शर्मा का आपराधिक इतिहास 1994 से शुरू हुआ, जब एक गैस डीलरशिप घोटाले में 11 लाख रुपये का नुकसान होने के बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा। इसके बाद उसने 1995 से 2004 तक कई जघन्य अपराध किए, जिनमें अवैध किडनी ट्रांसप्लांट और सीरियल किलिंग शामिल हैं। DOCTOR | damoh fake doctor | fake doctor mp | डॉक्टर विवाद | mp fake doctor case
अवैध किडनी रैकेट
1998 से 2004 के बीच, शर्मा ने डॉक्टर अमित और अन्य बिचौलियों के साथ मिलकर 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करवाए। वह गरीब और मजबूर लोगों को बहला-फुसलाकर या धमकाकर उनकी किडनी दान करने के लिए मजबूर करता था। प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए उसे 5-7 लाख रुपये मिलते थे। यह रैकेट दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फैला हुआ था। शर्मा के खिलाफ हत्या, अपहरण, लूट और अवैध अंग व्यापार के 27 मामले दर्ज हैं। उसका क्रूर और योजनाबद्ध अपराध नेटवर्क भारतीय पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती रहा। उसकी गिरफ्तारी से एक बार फिर कानून की ताकत साबित हुई।
सीरियल किलिंग
शर्मा ने 2002 से 2004 के बीच 50 से अधिक टैक्सी और ट्रक चालकों की हत्या की। वह टैक्सी बुक करता, चालकों की हत्या कर उनकी गाड़ियां लूटता, और शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज की हजारा नहर में मगरमच्छों के हवाले कर देता ताकि सबूत न मिले। इन गाड़ियों को वह 20-25 हजार रुपये में बेच देता था। पुलिस का मानना है कि उसने 100 से अधिक हत्याएं कीं, हालांकि उसने 50 के बाद गिनती खो दी थी।
पैरोल और फरारी
वर्ष 2004 में गिरफ्तारी के बाद शर्मा को सात हत्या के मामलों में उम्रकैद और एक में फांसी की सजा मिली। 2020 और 2023 में पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फरार हो गया। 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर छूटने के बाद वह दौसा में पुजारी बनकर छिपा था। दिल्ली पुलिस ने छह महीने की तलाशी के बाद उसे पकड़ा।