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Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। Prayagraj News: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के करछना तहसील अंतर्गत इसौटा गांव में रविवार को हुए हिंसक बवाल के बाद पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है। पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद 50 से ज्यादा उपद्रवियों को हिरासत में लिया गया है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की पहचान कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत कार्रवाई की जाएगी। हंगामे के दौरान उपद्रवी अपनी 42 बाइकें मौके पर छोड़कर फरार हो गए। पुलिस ने सभी वाहनों को जब्त कर लिया है और नंबर प्लेट के आधार पर मालिकों की पहचान कर नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। घटना के बाद आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने स्पष्ट किया कि हिंसा करने वाले उनके पार्टी के कार्यकर्ता नहीं थे। उन्होंने दावा किया कि घटना किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
कैसे भड़का बवाल?
यह बवाल उस समय भड़का जब चंद्रशेखर आजाद एक दलित युवक के परिवार से मिलने इसौटा गांव जा रहे थे। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से उन्हें गांव में प्रवेश से रोक दिया, जिसके बाद उनके समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया। चंद्रशेखर को हिरासत में लेकर सर्किट हाउस भेजा गया, लेकिन समर्थकों ने जमकर पथराव और आगजनी की। उपद्रवियों ने तीन पुलिस गाड़ियों सहित दर्जनभर वाहनों में तोड़फोड़ की और कई बाइकें जला दीं। इस हमले में चौकी प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी और स्थानीय नागरिक घायल हुए हैं।
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DCP का बयान: दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगा
डीसीपी यमुनानगर विवेक चंद्र यादव ने कहा कि फोटो और वीडियो फुटेज के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। इलाका पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका है और स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। उन्होंने यात्रियों और स्थानीय लोगों से अपील की गई है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
जानिए रविवार रात को क्या हुआ था?
कहा जा रहा है कि पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं जिसमें भगदड़ मचने से कई लोग घायल हो गए। घटनास्थल पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और भीम आर्मी के 17 कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया है। चंद्रशेखर आजाद का कहना है कि वह कौशांबी जिले में 8 साल की बच्ची के साथ हुए कथित दुष्कर्म के मामले में पीड़िता के परिजनों से मिलने जा रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन उन्हें राजनीतिक दबाव में रोक रहा है और यह उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन है। प्रशासन का पक्ष है कि जिले में धारा 144 लागू है और सांसद जिस संख्या में लोगों के साथ मौके पर पहुंच रहे थे, उससे कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता था। इसलिए उन्हें कौशांबी जाने से रोका गया।