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Rishikesh-Karnprayag Rail Project: सुरंग निर्माण में ‘शिव’ टीबीएम ने बनाया विश्व रिकॉर्ड

उत्तराखंड की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना के तहत ‘लार्सन एंड टूब्रो (L&T)’ कंपनी ने सुरंग निर्माण में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है। ‘शिव’ नाम की टनल बोरिंग मशीन (TBM) ने सिर्फ 31 दिन में 790 मीटर लंबी सुरंग की खुदाई पूरी की।

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Ranjana Sharma
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देहरादून, वाईबीएन डेस्‍क: उत्तराखंड की महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल संपर्क परियोजना के तहत एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। इस परियोजना के तहत बनाई जा रही एक सुरंग के निर्माण में ‘लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी)’ कंपनी ने तकनीक के क्षेत्र में नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है।
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31 दिनों में 790 मीटर सुरंग की खुदाई कर बनाया रिकॉर्ड

एलएंडटी ने 'शिव' नामक सिंगल-शील्ड हार्ड रॉक टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग करते हुए सिर्फ 31 दिनों में 790 मीटर सुरंग की खुदाई कर यह रिकॉर्ड बनाया है। कंपनी के निदेशक एस.वी. देसाई ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में इस सफलता की पुष्टि की। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार, यह पहली बार है जब विश्व स्तर पर कहीं भी इस प्रकार की मशीन का इतने कुशल और प्रभावी ढंग से उपयोग किया गया है। यह उपलब्धि सुरंग निर्माण की अत्याधुनिक तकनीक में भारत के बढ़ते कदम को दर्शाती है।

देश की सबसे लंबी दोहरी रेलवे सुरंग

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इस परियोजना के अंतर्गत तैयार की जा रही 13.09 किलोमीटर लंबी डाउनलाइन सुरंग, जो 14.57 किलोमीटर की अपलाइन सुरंग के समानांतर और करीब 25 मीटर की दूरी पर स्थित है, देश की सबसे लंबी दोहरी रेलवे सुरंगों में शामिल हो गई है। परियोजना निदेशक राकेश अरोड़ा ने बताया कि मई-जून के दौरान 'शिव' नामक टीबीएम द्वारा 790 मीटर खुदाई का कार्य मात्र 31 दिनों में सफलतापूर्वक पूरा किया गया। वहीं, ‘शक्ति’ नामक एक और टीबीएम ने 16 अप्रैल 2025 को अपलाइन सुरंग की खुदाई निर्धारित समय से 12 दिन पहले पूरी की थी।

कुल 30 किलोमीटर सुरंगों का निर्माण

परियोजना के तहत दोहरी सुरंगों की कुल लंबाई 30 किलोमीटर है, जिनमें से लगभग 70 प्रतिशत (21 किमी) खुदाई टीबीएम की मदद से और शेष 30 प्रतिशत (9 किमी) पारंपरिक ब्लास्टिंग और खुदाई विधियों से पूरी की गई है।देवप्रयाग और जनासू के बीच बनी यह सुरंगें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिसकी कुल लंबाई 125 किलोमीटर है। यह रेल मार्ग पहाड़ी क्षेत्र में परिवहन के लिहाज से एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। परियोजना को दिसंबर 2026 तक पूरा कर चालू किए जाने की योजना है। Uttrakhand 
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