तेलंगाना, वाईबीएन नेटवर्क
डोमलपेंटा के पास श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग का एक हिस्सा शनिवार, 22 फरवरी की सुबह ढह गया है। इस घटना को अब लगभग 45 घंटे से ज्यादा का समय हो गया है। निर्माणाधीन हिस्सा ढह जाने के कारण 8 श्रमिक अंदर ही फंसे हैं। भारतीय सेना के इंजीनियर टास्क फोर्स (ETF) और NDRF के जवान बचाव अभियान जारी है, लेकिन अभी तकक कोई सफलता साथ नहीं लगी है। सुरंग के अंदर 8 मजदूर जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
जब सुरंग में तीन मीटर की दूरी पर छत गिरी, उस समय कुल 50 व्यक्ति बाईं तरफ की सुरंग पर काम कर रहे थे। यह दुर्घटना 14वें किमी बिंदु पर हुई। हालांकि, हादसे के बाद 42 श्रमिक सुरंग से बाहर आ गए, शेष आठ वहीं फंस गए। सुरंग में फंसे हुए लोगों में दो इंजीनियर और दो मशीन ऑपरेटर शामिल हैं।
पानी और कीचड़ मिला से बढ़ी परेशानी
लोको ट्रेन से ग्यारहवें किलोमीटर तक पहुंची एनडीआरएफ की टीम को वहां पानी और कीचड़ मिला है। सुरंग में लगभग तीन फीट पानी जमा हो गया था। इसके बाद एनडीआरएफ कर्मी पैदल ही आगे बढ़े और उस बिंदु के करीब पहुंचे, जहां सुरंग की छत धंस गई थी। हालांकि, इस दुर्घटना में सुरंग खोदने वाली मशीन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सुरंग की छत और मिट्टी से निकले पानी ने मशीन को 80 मीटर तक पीछे धकेल दिया है। साथ ही मशीन के दोनों तरफ पानी और कीचड़ भी जमा हो गया है, जिससे बचाव अभियान में परेशानी आ रही है।
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इन राज्यों के मजदूर फंसे हैं
सुरंग में फंसे मजदूर झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के हैं। झारखंड के आपदा प्रबंधन मंत्री इरफान अंसारी ने तेलंगाना में एसएलबीसी सुरंग में फंसे झारखंड के मजदूरों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लिया है और तेलंगाना के मुख्यमंत्री से संपर्क साधा है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच बातचीत हो रही है और वे लगातार संपर्क में हैं। वहां की सरकार मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए प्रयासरत है।
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लंबित परियोजना को पूरा करने के कारण शुरू हुआ था काम
बता दें कि राज्य सरकार ने लंबित परियोजना को पूरा करने के लिए हाल ही में सुरंग के निर्माण कार्य को फिर से शुरू किया था। निर्माण फर्म ने चार दिन पहले काम शुरू किया था और शनिवार सुबह 50 श्रमिक काम के लिए सुरंग में गए थे। सिंचाई मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के बाद सुरंग पर काम शुरू किया गया था। उन्होंने मीडिया को बताया कि जिस कंपनी को काम के लिए रखा गया था, उसका सुरंग खोदने का अच्छा रिकॉर्ड रहा है।
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