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Telangana Tunnel Collapse: 5 दिनों से जारी बचाव कार्य अगले दो दिन में हो सकता है पूरा, उम्मीद बरकरार

तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग से ताजा फोटो और वीडियो सामने आए हैं, जहां 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान चल रहा है।

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Jyoti Yadav
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नागरकुरनूल, वाईबीएन नेटवर्क

तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग से ताजा फोटो और वीडियो सामने आए हैं, जहां 22 फरवरी को सुरंग का एक हिस्सा ढहने के बाद सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए बचाव अभियान चल रहा है। इस घटना को अब पूरे 5 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक अंदर फंसे मजदूरों को बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिली है।

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अगले दो दिनों में बचाव कार्य पूरा होने की संभावना

तेलंगाना सरकार ने एसएलबीसी सुरंग में फंसे आठ श्रमिकों को बचाने को लेकर कहा कि अगले दो दिनों में बचाव कार्य पूरा होने की संभावना है। 26 फरवरी को राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि फंसे मजदूरों को बचाने के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है। इसमें वैकल्पिक पहुंच मार्गो की खोज और पानी निकालने के लिए उन्नत मशीनरी का उपयोग शामिल है। 26 फरवरी को सुरंग के मुहाने पर बैठक आयोजित की गई।एसएलबीसी सुरंग दुर्घटना, राहत एवं बचाव उपायों पर सैन्य सुरंग विशेषज्ञों, नौसेना कमांडो और एनडीआरएफ कर्मियों के साथ समीक्षा बैठक की। 

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बचाव कार्य में विशेषज्ञों की ली जा रही मदद

विशेषज्ञ लगातार सुंरग की संरचनात्मक स्थिरता का आकलन कर रहे हैं, ताकि बचाव कार्य बिना किसी अतिरिक्त जोखिम के पूरा किया जा सके। मंत्री ने बताया कि सुरंग में फंसी टीबीएम को गैस कटर की मदद से टुकड़ों में काटकर हटाया जाएगा, जिससे बचाव दल को आगे बढ़ने में सुविधा मिलेगी। इस बचाव अभियान में भारतीय सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रैट माइनर्स की टीमें शामिल है। इसी के साथ राज्य सरकार ने सुरंग निर्माण और बचाव अभियानों का अनुभव रखने वाले विशेषज्ञों और सेवानिवृत्त  सैन्य अधिकारियों से भी सलाह ली है। भारतीय मरीन कमांडो और सीमा सड़क संगठन को भी इस अभियान में शामिल किया गया है। 

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कुत्तों की मदद लेने की योजना

बता दें बचाव दल अब इस अभियान में कुत्तों की मदद लेने की योजना बना रहे हैं। 26 फरवरी को नागरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ के अनुसार, 20 सदस्यीय बचाव दल सुरंग के अंतिम के बिंदु तक पहुंचीं लेकिन कीचड़ और मलबे के कारण वे सिर्फ 50 मीटर की दूरी तक ही पहुंच पाए। 

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