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Ayodhya: परिवार संग विराजे राजा राम, भव्य राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न

अयोध्या में राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक संपन्न हुई। भगवान राम इस बार पूरे परिवार के साथ विराजमान हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूजा की। 101 आचार्यों ने वैदिक मंत्रों के साथ अनुष्ठान पूरा कराया।

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Pratiksha Parashar
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क अयोध्या एक बार फिर भव्य आध्यात्मिक उत्सव की साक्षी बनी। गुरुवार को भगवान श्रीराम की नगरी में रामलला की दूसरी प्राण प्रतिष्ठा विधिपूर्वक संपन्न हो चुकी है। प्रभु श्रीराम अपने पूरे परिवार- माता सीता, भाई लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और परम भक्त हनुमान जी के साथ भव्य मंदिर के पहले तल पर विराजमान हुए हैं। भव्य राम दरबार की पहली झलक सामने आ चुकी है। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होकर पूजा-अर्चना की। अयोध्या और काशी से आए 101 वैदिक आचार्यों ने मंत्रोच्चार के साथ इस पवित्र अनुष्ठान को संपन्न कराया। 

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प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न

सुबह 6:30 बजे यज्ञ मंडप में आचार्यों के प्रवेश के साथ अनुष्ठान शुरू हुआ। जिन आठ मूर्तियों को एक दिन पहले शैय्याधिवास कराया गया था, उन्हें सुबह 6:45 बजे चेतन अवस्था में लाया गया। जलाभिषेक के बाद वैदिक मंत्रों और विधियों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा आरंभ हुई और निर्धारित अभिजीत मुहूर्त (11:25 से 11:40 बजे) के दौरान भगवान श्रीराम की प्रतिष्ठा विधिपूर्वक संपन्न की गई।

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मंदिर की पूर्णता की ओर दूसरा बड़ा कदम

यह प्राण प्रतिष्ठा राम मंदिर निर्माण की दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण अध्याय है। 2 जून से शुरू हुए अनुष्ठान में 3 और 4 जून को 12-12 घंटे तक वैदिक पाठ, अग्निहोत्र, हनुमान चालीसा, रामरक्षा स्तोत्र और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। चार दिवसीय धार्मिक अनुष्ठानों के बाद मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन गया है।

राम दरबार और अन्य मूर्तियों की प्रतिष्ठा

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मुख्य मंदिर के पहले तल पर स्थापित राम दरबार में भगवान श्रीराम के साथ माता सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी विराजमान हैं। वहीं, सप्त मंडपम क्षेत्र में ऋषि वशिष्ठ, वाल्मीकि, अगस्त्य, विश्वामित्र, अहिल्या, शबरी और निषादराज की मूर्तियों की भी प्राण प्रतिष्ठा की गई।

सोने से दमका मंदिर का शिखर

पहली प्राण प्रतिष्ठा के 16 महीनों बाद मंदिर का स्वरूप और अधिक भव्य हो गया है। इस बार विशेष आकर्षण रहा स्वर्ण शिखर, जिस पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह दूर से ही अपनी दिव्य आभा बिखेर रहा है और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहा है।

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वैदिक परंपरा के अनुरूप ऐतिहासिक आयोजन

पंडित जयप्रकाश तिवारी और उनकी 101 वैदिक आचार्यों की टीम ने राम मंदिर परिसर के सभी आठों सहायक मंदिरों में एकसाथ प्राण प्रतिष्ठा कराई। इस दौरान वाल्मीकि रामायण, चारों वेदों का पाठ और मंत्रोच्चार के साथ संपूर्ण परिसर आध्यात्मिक वातावरण से भर गया।

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