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Ramnagari Ayodhya: राजा रामदरबार की प्राण प्रतिष्ठा कल, भव्य आयोजन की तैयारियां पूरी

राजा राम की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन में अब कुछ और घंटे ही शेष हैं और इसके लिए अयोध्या नगरी पूरी तरह से सज-संवरकर तैयार है। यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अहम है।

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Vivek Srivastav
अयोध्‍या नगरी

श्री राम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर श्री राम दरबार सहित अष्ट देवालयों में देव विग्रहों के प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर यज्ञशाला में विभिन्न शास्त्रीय अनुष्ठान। Photograph: (सोशल मीडिया )

लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। सनातन संस्कृति के केंद्र, रामनगरी अयोध्या(ayodhya ) में एक ऐतिहासिक क्षण अब बस कुछ ही घंटों की दूरी पर है। राजा राम की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य आयोजन कल होने जा रहा है, और इसके लिए अयोध्या नगरी पूरी तरह से सज-संवरकर तैयार हो चुकी है। यह आयोजन न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ और महत्व

प्राण प्रतिष्ठा एक वैदिक अनुष्ठान है, जिसमें भगवान की मूर्ति में विधिवत मंत्रों और यज्ञों के माध्यम से “प्राण” यानी चेतना को स्थापित किया जाता है। अयोध्या में यह प्रतिष्ठा भगवान श्रीराम के नए भव्य मंदिर में की जा रही है, जिससे यह स्थल आधिकारिक रूप से एक पूर्ण तीर्थधाम के रूप में स्थापित हो जाएगा।

आयोजन की तैयारियां अंतिम चरण में

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संपूर्ण रामनगरी को दियों, फूलों, झंडों और रंगोलियों से सजाया गया है। सड़कें स्वच्छ और चमचमाती हैं, और सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
-जगह-जगह LED स्क्रीनें, भजन मंडलियाँ और सांस्कृतिक मंचों की स्थापना की गई है।
-5000 से अधिक पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
-VIP अतिथियों की सूची में साधु-संतों के साथ-साथ देश की जानी-मानी हस्तियां भी आमंत्रित हैं।

पूजा-अनुष्ठान की संक्षिप्त रूपरेखा

प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंदिर में अखंड रामायण पाठ, वैदिक यज्ञ, महाअभिषेक, और 108 पुजारियों द्वारा विशेष हवन आयोजित किए गए हैं। कल मुख्य अनुष्ठान दोपहर में पूर्ण होगा, जिसके बाद मंदिर में आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन खुल जाएंगे।

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एक युग का अंत नहीं, नवयुग की शुरुआत

राजा राम की अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है — यह भारत के आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह वह क्षण है जहां भक्ति, आस्था और संस्कृति एक साथ मिलकर एक नई चेतना का संचार कर रहे हैं।

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