गाजियाबाद, वाईबीएन नेटवर्क।
उत्तर प्रदेश के GST डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की आत्महत्या ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है। बीते सोमवार को हाईराइज सोसायटी की 15वीं मंजिल से कूदकर उन्होंने अपनी जान दे दी, लेकिन इसके पीछे की वजहें अब सनसनीखेज मोड़ ले रही हैं। परिवार का दावा है कि अत्यधिक कार्यभार और विभागीय प्रताड़ना के चलते संजय को यह कदम उठाना पड़ा।
इस दर्दनाक घटना के बाद राज्य कर विभाग के 800 अधिकारियों ने विरोधस्वरूप ‘State Tax’ व्हाट्सएप ग्रुप छोड़ दिया है, जिसमें पहले 900 अधिकारी जुड़े हुए थे। इस ग्रुप के जरिए अधिकारियों को निर्देश दिए जाते थे। इस सामूहिक विरोध ने सरकारी तंत्र में खलबली मचा दी है।
क्या था व्हाट्सएप ग्रुप छोड़ने का कारण?
राज्य कर अधिकारियों के तीन बड़े संगठनों ने फैसला लिया कि अब कोई भी इस ग्रुप का हिस्सा नहीं रहेगा। साथ ही काला फीता बांधकर विरोध जताने का भी ऐलान किया गया है। इन संगठनों ने कहा कि विभागीय दबाव और अनुचित कार्य प्रणाली के चलते अधिकारी मानसिक तनाव में हैं, और यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है। उत्तर प्रदेश राज्य कर अधिकारी सेवा संघ, GST अधिकारी सेवा संघ और उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर अधिकारी संघ ने इस मुद्दे पर मुख्य सचिव से मिलने का फैसला किया है ताकि प्रशासन को इस गंभीर स्थिति से अवगत कराया जा सके।
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परिवार का बड़ा खुलासा – ‘संजय को सिस्टम ने मारा!’
संजय सिंह के बड़े भाई धनंजय सिंह ने कहा कि संजय एक साल बाद रिटायर होने वाले थे, लेकिन पिछले एक साल से वह अत्यधिक तनाव और डिप्रेशन में थे। संजय को लगातार अनुचित दबाव में रखा जा रहा था। विभाग ने प्रताड़ना का स्तर इतना बढ़ा दिया था कि अधिकारी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे थे। वह रोजाना मानसिक उत्पीड़न झेल रहे थे।
'कैंसर नहीं, सिस्टम ने किया डिप्रेस' – परिवार का दावा
विभाग की तरफ से यह कहा जा रहा था कि संजय सिंह कैंसर की वजह से डिप्रेशन में थे, लेकिन उनके भाई ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने खा कि संजय को कैंसर था, लेकिन वह इससे पूरी तरह ठीक हो चुके थे। 14 नवंबर 2024 की मेडिकल रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा है कि वह पूरी तरह स्वस्थ थे। परिवार का आरोप है कि विभाग के बड़े अधिकारियों की मनमानी और उत्पीड़न ही उनके आत्महत्या करने की असली वजह है।
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सरकारी सिस्टम का सच होगा उजागर?
संजय सिंह की आत्महत्या ने सरकारी दफ्तरों में व्याप्त मानसिक तनाव, जबरदस्त दबाव और अफसरशाही के दमनकारी रवैये को उजागर कर दिया है। 800 अधिकारियों का सामूहिक विरोध यह बताने के लिए काफी है कि समस्या कितनी गंभीर है।
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार इस मामले में निष्पक्ष जांच कराएगी? क्या विभागीय उत्पीड़न का सच सामने आएगा? क्या सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर कोई ठोस कदम उठाया जाएगा? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिल सकता है, लेकिन एक बात साफ है – संजय सिंह की मौत ने सिस्टम के काले सच को उजागर कर दिया है!