लखनऊ, वाईबीएन नेटवर्क।
उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। यूपी सरकार ने बहुवर्षीय वितरण टैरिफ विनियमावली 2025 लागू कर दी है, जो 2029 तक प्रभावी रहेगी। इस नए नियम के तहत बिजली दरों में 20% तक की बढ़ोतरी संभव है। सरकार की इस नीति से बिजली कंपनियों को हर साल करीब 4,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा, लेकिन आम जनता की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
क्यों बढ़ेगी बिजली की कीमतें?
नियामक आयोग जल्द ही 2025-26 के लिए नई बिजली दरें तय करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। बिजली कंपनियों ने 13,000 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला देकर दरों में इजाफे की मांग की है। कंपनियों का दावा है कि वे 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) दाखिल कर चुकी हैं, जिसमें 70,000 करोड़ रुपये सिर्फ बिजली खरीद के लिए प्रस्तावित हैं।
बिजली चोरी और मेंटेनेंस भी बने वजह
बिजली कंपनियों ने परिचालन, मरम्मत और प्रशासनिक खर्चों के लिए 11,800 करोड़ रुपये की मांग की है। कंपनियों का यह भी दावा है कि बिजली चोरी और वितरण हानियों से उन्हें 13.82% का नुकसान हो रहा है, जिसे पूरा करने के लिए दरों में बढ़ोतरी जरूरी है।
उपभोक्ता परिषद का कड़ा विरोध
बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी का उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जोरदार विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि नई टैरिफ नीति से आम उपभोक्ताओं को भारी नुकसान होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी घरानों और बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने की साजिश रची जा रही है, जबकि जनता पर अतिरिक्त भार डाला जा रहा है।
क्या है सरकार और आयोग की भूमिका?
पिछले साल विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों की 10789 करोड़ रुपये की मांग में से सिर्फ 6478 करोड़ रुपये पास किए थे, जिससे करीब 4300 करोड़ रुपये की कटौती हुई थी। लेकिन नई नीति के तहत कटौती की सीमा घटकर सिर्फ 2000 करोड़ रुपये रह जाएगी, जिससे कंपनियों को बड़ा फायदा होगा।
जनता पर बढ़ेगा बोझ
अगर यह प्रस्तावित दरें लागू हुईं, तो प्रदेश के 3.45 करोड़ उपभोक्ताओं को भारी नुकसान होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 5 वर्षों तक बिजली दरें बढ़ाने का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि बिजली कंपनियों पर पहले से ही 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस बचत है। फिर भी बिजली कंपनियां नियमों के दरवाजे से दरों में बढ़ोतरी कराने की कोशिश कर रही हैं।
क्या होगा असर?
अगर बिजली दरें 20% तक बढ़ती हैं, तो घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक उपभोक्ताओं को हर महीने अधिक बिल भरना होगा। छोटे व्यापारियों और किसानों के लिए भी यह फैसला मुश्किलें बढ़ा सकता है।
उपभोक्ताओं के लिए अगला कदम?
उपभोक्ता परिषद ने साफ कहा है कि जनता पर अतिरिक्त बोझ डालने की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने दिया जाएगा। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और नियामक आयोग इस मुद्दे पर जनता के पक्ष में कोई राहत देते हैं या नहीं।