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Uttarakhand: भूजल बचाने की नई तकनीक, सीएम धामी ने गैरसैंण से की शुरुआत

उत्तराखंड में भूजल पुनर्भरण की दिशा में बड़ा कदम। गैरसैंण से डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत योजना शुरू, 20 निष्क्रिय हैंडपंप फिर होंगे सक्रिय। धामी बोले तकनीकी नवाचारों से दूर होगा जल संकट।

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Dhiraj Dhillon
CM dhami and Ritu Khandoori in Assembly Building, Bhararisain
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देहरादून, वाईबीएन डेस्क। उत्तराखण्ड में जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए आज एक ऐतिहासिक पहल का आगाज हुआ। विधानसभा भवन, भराड़ीसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने स्वामी राम विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के सहयोग से “डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना” का शुभारंभ किया।  इस अवसर पर वाइब्रेंट बर्ड ऑफ कोटद्वार के नाम से फोटो संग्रह का विमोचन भी किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा राज्य  सरकार तकनीकी नवाचारों को अपनाकर राज्य के जल संकट को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह जल संरक्षण के क्षेत्र में अच्छा प्रयास है।

CM dhami in Assembly Building, Bhararisain

“जल प्रबंधन में मील का पत्थर साबित होगी यह पहल”

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि जल संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि उत्तराखण्ड की भविष्य की जीवनरेखा है। उन्होंने  कहा कि “भूजल पुनर्भरण भविष्य की जल सुरक्षा का आधार बनेगा। यह योजना उत्तराखण्ड में सतत जल प्रबंधन और जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।”

जानें क्या है डायरेक्ट इंजेक्शन जल श्रोत पुनर्भरण योजना

कार्यक्रम के दौरान जानकारी दी गई कि इस परियोजना के  प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 8 जुलाई 2025 को अंतर्राष्ट्रीय संसदीय अध्ययन, शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, भराड़ीसैंण और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के बीच एक MoU हुआ था। डायरेक्ट इंजेक्शन जल स्रोत पुनर्भरण योजना के अंतर्गत उपचारित वर्षा जल को निष्क्रिय हैंडपंपों में इंजेक्ट कर भूजल स्तर को बढ़ाया जाएगा। इस तकनीक को स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है। 

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CM dhami in Assembly Building, Bhararisain2 (1)

पहले चरण में 20 हैंडपंप होंगे एक्टिव

योजना के पहले चरण में ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण और चौखुटिया विकासखंडों के 20 चयनित हैंडपंपों को पुनर्भरण कर पुनः क्रियाशील बनाया जाएगा। यह प्रयास उत्तराखण्ड में जल प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में मील का पत्थर माना जा रहा है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की तकनीकी टीम- प्रोफेसर एच.पी. उनियाल, नितेश कौशिक, सुजीत थपलियाल, राजकुमार वर्मा, अतुल उनियाल, अभिषेक उनियाल और शक्ति भट्ट ने योजना की तकनीकी प्रक्रिया पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार यह तकनीक वर्षा जल को फिल्टर और ट्रीट कर सीधे भूजल भंडार तक पहुंचाती है, जिससे सूखे हैंडपंप फिर से जीवंत हो जाते हैं।

डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा तैयार की गई एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई, जिसमें गैरसैंण क्षेत्र के गांवों में लागू की गई तकनीक और उसके परिणामों को दिखाया गया। इस अवसर पर वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल, कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी,  विधायकगण, विभिन्न विभागों के सचिव एवं विधानसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित स्वामी राम विश्वविद्यालय के अधिकारी उपस्थित रहे।

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