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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) का एक अनोखा अंदाज देखने को मिला। शुक्रवार को सीएम धामी अपने कुमाऊं दौरे के दूसरे दिन खटीमा स्थित अपने गांव नगरा तराई पहुंचे और पारंपरिक किसान की भूमिका में नजर आए। मिट्टी से जुड़ाव और किसानों के श्रम को करीब से समझने के उद्देश्य से उन्होंने बैलों की मदद से खेत जोता और स्वयं धान की रोपाई की।
अपने खेत में बिताया समय
मुख्यमंत्री धामी तड़के सुबह नगरा तराई पहुंचे, जहां उन्होंने अपने पारंपरिक खेत में उतरकर धान की बुआई की प्रक्रिया में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने किसानों की कठिन मेहनत, समर्पण और त्याग को अनुभव करते हुए पुराने दिनों की यादें ताज़ा कीं। उन्होंने कहा कि अन्नदाता केवल अन्न उपजाने वाले नहीं, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़, परंपराओं के संरक्षक और संस्कृति के संवाहक भी हैं।
सोशल मीडिया पर शेयर कीं तस्वीरें
मुख्यमंत्री ने इस भावनात्मक क्षण को कैमरे में कैद कर अपने सोशल मीडिया पर साझा भी किया। उन्होंने तस्वीरों के साथ एक मार्मिक संदेश लिखा। सीएम पुष्कर धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, "खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं।"
खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं। pic.twitter.com/2ctv5O6v3p
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 5, 2025
'हुड़किया बौल' की प्रस्तुति
धान रोपाई के अवसर पर उत्तराखंड की पारंपरिक लोकसंस्कृति 'हुड़किया बौल' की प्रस्तुति भी दी गई। मुख्यमंत्री धामी ने भी इस लोक परंपरा का हिस्सा बनते हुए भूमि के देवता 'भूमियां', जल देवता 'इंद्र' और मेघ देव का आह्वान किया। यह अनुष्ठान राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू है।
जनता के दिलों को छू गया यह दृश्य
मुख्यमंत्री का यह ‘किसान अवतार’ लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री का यह पहल राज्य की जनता के बीच चर्चा का विषय बनी। इसे एक ऐसे संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जो बताता है कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ परंपरा और संस्कृति से जुड़ाव भी उतना ही जरूरी है। उनके इस कदम को एक संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल के तौर पर देखा जा रहा है। Uttrakhand | CM Pushkar Singh Dhami