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Hemkund Sahib के लिए पहला जत्था रवाना, जानिए क्यों खास है हिमालय की गोद में बसा यह गुरुद्वारा?

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने ऋषिकेश के गुरुद्वारे से श्री हेमकुंड साहिब के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

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Pratiksha Parashar
Hemkund sahib
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क श्री हेमकुंड साहिब की यात्रा के लिए श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना हो चुका है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी और राज्यपाल गुरमीत सिंह ने ऋषिकेश के गुरुद्वारे से श्री हेमकुंड साहिब के लिए तीर्थयात्रियों के पहले जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। आपको बता दें कि हेमकुंड साहिब के द्वार 25 मई से खुलेंगे। आइए जानते हैं कि हेमकुंड साहिब क्यों खास है। 

सभी व्यवस्थाएं पूरी हो गई हैं- सीएम पुष्कर सिंह धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "आज यहां से श्री हेमकुंड साहिब का पहला जत्था रवाना हो रहा है। 25 तारीख को श्री हेमकुंड साहिब के द्वार खुलेंगे। वहां पर सभी व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। सभी यात्री ठीक प्रकार से अपनी यात्रा और दर्शन करें, उसकी व्यवस्था व्यवस्थित कर ली गई हैं।"

रोप वे से आसान होगी यात्रा

सीएम पुष्कर धामी ने कहा, " मैं प्रधानमंत्री का बहुत धन्यवाद करता हूं कि अब केदारनाथ और श्री हेमकुंड साहिब दोनों जगह जाने के लिए भारत सरकार ने पीएम मोदी के नेतृत्व में रोप-वे को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह कठिन यात्रा आने वाले समय में बहुत आसान हो जाएगी। हम देश-दुनिया से आने वाले सभी यात्रियों का स्वागत करते हैं।"

हेमकुंड साहिब क्यों खास है? 

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हेमकुंड साहिब का सिख धर्म में एक खास स्थान है, क्योंकि इसे सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह की तपस्थली माना जाता है। आपको बता दें कि श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमालय की गोद में स्थित है। यह समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर है। हेमकुंड साहिब सर्दियों में बर्फ से ढका रहता है। इसकी यात्रा भी बेहद कठिन मानी जाती है। गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए 15 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। हर साल मई के महीने से लेकर अक्टूबर के बीच में यह गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। इस दौरान बड़ी संख्या में सिक्ख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। गुरुद्वारे को सात क्विंटल ताजे फूलों से सजाया जाएगा। 

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