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Haridwar में कांवड़ियों का ‘जनसैलाब’! प्रशासन के भी उड़ गए होश – देखें ताज़ा तस्वीरें | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । हरिद्वार में आज शुक्रवार 18 जुलाई 2025 की सुबह कांवड़ यात्रा का अद्भुत नजारा देखने को मिला, जहां हजारों शिव भक्त गंगा जल लेने पहुंचे। आस्था और भक्ति का यह संगम उत्तराखंड की शांत वादियों को एक नई ऊर्जा से भर रहा है, और इस बार कांवड़ियों की संख्या ने सभी को हैरान कर दिया है।
आज हरिद्वार में कांवड़ यात्रा अपने पूरे शबाब पर है। भोर होते ही लाखों शिव भक्त गंगा के पावन तटों पर उमड़ पड़े। हर-हर महादेव और बोल बम के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। पिछले कुछ सालों में कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन इस बार का दृश्य अभूतपूर्व है। ऐसा लग रहा है मानो समूचा देश अपनी आस्था के चरम पर हरिद्वार में आकर मिल गया हो।
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गंगा जल लेने की होड़: कांवड़ियों में उत्साह चरम पर
कांवड़िये अपनी पारंपरिक वेशभूषा में, कंधों पर कांवड़ लिए, गंगा मैया का पवित्र जल भरने के लिए कतारबद्ध खड़े थे। कई घंटों के इंतजार के बाद भी उनके चेहरे पर कोई थकान नहीं थी, बल्कि भगवान शिव के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा और उत्साह साफ झलक रहा था। कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो भारतीय आध्यात्मिकता की गहराई को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे लोग हर मुश्किल को पार करके अपने आराध्य तक पहुंचने के लिए कृतसंकल्प रहते हैं।
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सुरक्षा और व्यवस्था: प्रशासन की चुनौती और तैयारी
श्रद्धालुओं की इतनी भारी संख्या को देखते हुए, उत्तराखंड पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिसकर्मी तैनात हैं और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। यह सब सुनिश्चित करने के लिए है कि कांवड़िये अपनी यात्रा सुरक्षित और शांतिपूर्ण ढंग से पूरी कर सकें।
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कांवड़ यात्रा 2025: एक अनूठी पहचान
इस वर्ष की कांवड़ यात्रा कई मायनों में खास है। जिस तरह से लाखों लोग एक साथ आकर इस धार्मिक यात्रा का हिस्सा बन रहे हैं, वह अपने आप में एक मिसाल है। यह दिखाता है कि भारतीय समाज में आस्था और संस्कृति का कितना गहरा महत्व है।
कांवड़िये नंगे पैर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं, जो उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और भक्ति का प्रतीक है। यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, बल्कि आत्मा की भी यात्रा है, जो उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
कांवड़ यात्रा का हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों की स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा प्रभाव पड़ता है। छोटे व्यापारियों, होटल मालिकों, और स्थानीय गाइडों के लिए यह एक बड़ा अवसर होता है। यात्रा के दौरान फूल, प्रसाद, खाने-पीने की चीजें और अन्य धार्मिक वस्तुओं की बिक्री में भारी उछाल आता है। यह दर्शाता है कि धार्मिक पर्यटन कैसे स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक समृद्धि ला सकता है। इस बार की भीड़ को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा।
आज हरिद्वार में आस्था का जो सैलाब उमड़ा है, वह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक जीवंत प्रमाण है। यह कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो लाखों लोगों को एक सूत्र में पिरोता है।
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