केदारनाथ, वाईबीएन नेटवर्क। केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए हैं। सुबह 7 बजे मंदिर के कपाट खुलते ही मंदिर परिसर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस पावन अवसर पर केदारनाथ मंदिर को गुजरात और ऋषिकेश के 108 कुंतल फूलों से अत्यंत भव्य ढंग से सजाया गया है। कपाट खुलने के साथ ही भक्तों ने गर्भगृह में प्रज्वलित अखंड ज्योति के दर्शन किए। इसके बाद विधिवत रुद्राभिषेक, शिवाष्टक, शिव तांडव स्तोत्र और केदाराष्टक का पाठ किया गया। बाबा केदारनथ के दर्शन का लाइव प्रसारण भी किया गया।
सबसे पहले पहुंचे रावल भीमशंकर
मंदिर में सबसे पहले कर्नाटक से आए वीरशैव लिंगायत परंपरा के मुख्य रावल भीमशंकर लिंग पहुंचे। उनके आगमन के बाद शिवलिंग से भीष्म श्रृंगार हटाने की प्रक्रिया आरंभ हुई। यह श्रृंगार छह महीने पहले कपाट बंद होते समय किया गया था।
क्या होता है भीष्म श्रृंगार?
भीष्म श्रृंगार एक विशेष प्रक्रिया है, जिसमें बाबा केदार को शीतकाल में सुरक्षित रखने के लिए श्रृंगारित किया जाता है। कपाट खोलने पर सबसे पहले शिवलिंग के चारों ओर रखे मौसमी फल और सूखे मेवों का ढेर हटाया जाता है, जिसे आर्घा कहा जाता है। इसके बाद रुद्राक्ष की मालाएं, सफेद कपड़ा और जमा हुआ घी सावधानीपूर्वक हटाया जाता है। फिर बाबा का गंगा जल, गोमूत्र, दूध, शहद और पंचामृत से स्नान कराया जाता है। इसके बाद चंदन, भस्म और फूलों से उन्हें नए श्रृंगार में सजाया जाता है।
6 महीने दर्शन का अवसर
अब अगले छह महीनों तक बाबा केदार के दर्शन के लिए मंदिर खुला रहेगा। भारी भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए टोकन सिस्टम लागू किया गया है। भक्तों को दर्शन का सौभाग्य चरणबद्ध रूप में दिया जा रहा है।
चारधाम यात्रा और लाइव प्रसारण
चारधाम यात्रा की शुरुआत 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन हो चुकी है। गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट पहले ही खुल चुके हैं, वहीं बद्रीनाथ धाम के कपाट 4 मई को खोले जाएंगे। इस बार पहली बार चारों धामों के कपाट खुलने का सीधा प्रसारण किया जा रहा है। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का प्रसारण आकाशवाणी, OTT वेव प्लेटफॉर्म, यूट्यूब चैनल, आराधना टीवी और ‘न्यूज ऑन एयर’ ऐप पर देखा जा सकता है।
गढ़ संस्कृति की झलक
चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ ऋषिकेश से शनिवार को होगा, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि होंगे। तीर्थयात्रियों को पारंपरिक गढ़वाली भोजन – भड्डू की दाल और भात – परोसा जाएगा, जो इस यात्रा में सांस्कृतिक रंग भर देगा।
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