देहरादून, वाईबीएन डेस्क। Uttrakhand News: उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जनपद स्थित त्रिजुगीनारायण मंदिर वैश्विक स्तर पर डेस्टिनेशन वेडिंग के रूप में तेजी से उभर रहा है। मान्यता है कि यहीं भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र विवाह हुआ था। अब यही स्थान विदेशी और देशी जोड़ों के बीच वैदिक विवाह की पहली पसंद बन चुका है। 2025 की शुरुआत से अब तक यहां 500 से अधिक विवाह हो चुके हैं, जबकि पूरे 2024 में यह संख्या 600 के करीब थी। मई में सिंगापुर की भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची त्रिजुगीनारायण में विवाह करने पहुंच रही हैं। वे GMVN के टूरिस्ट रेस्ट हाउस में ठहरने वाली हैं।
विदेशों से आ रहे जोड़े, बढ़ा स्थानीय रोजगार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड को डेस्टिनेशन वेडिंग हब के रूप में प्रमोट किए जाने के बाद त्रिजुगीनारायण मंदिर में देश-विदेश से पर्यटकों की आवक बढ़ी है। इससे वेडिंग प्लानर, पंडित, मांगल दल, ढोल-दमौ वादक, होटल उद्योग और परिवहन व्यवसाय में नई जान आई है। मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी के अनुसार, यहां विवाह केवल वैदिक परंपरा के अनुसार ही होते हैं और रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। विवाह माता-पिता या अभिभावकों की उपस्थिति में ही संपन्न किया जाता है। विवाह की वेदी मंदिर परिसर में ही बनी हुई है, जहां सात फेरे और पग फेरा अखंड ज्योति के समक्ष होता है। अन्य आयोजन नजदीकी होटल या रिज़ॉर्ट में होते हैं।
पौराणिक महत्व से जुड़ा त्रिजुगीनारायण
त्रिजुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि यहीं भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती के विवाह में देवी पार्वती के भाई का कर्तव्य निभाया था। मंदिर में स्थित अखंड अग्नि को वह अग्नि माना जाता है जिसके समक्ष शिव-पार्वती ने सात फेरे लिए थे। उत्तराखंड सरकार इस ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल को अंतरराष्ट्रीय वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए पूरी तरह सक्रिय है। देवभूमि आपका स्वागत करने को तैयार है।