देहरादून, वाईबीएन डेस्क। Uttrakhand News: उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ मार्ग पर संक्रमण से बचाव के लिए बड़ा कदम उठाया है। सचिव पशुपालन डॉ. बी.वी.आर.सी. पुरुषोत्तम ने बुधवार को मीडिया सेंटर में प्रेस वार्ता कर बताया कि यात्रा प्रारंभ होने से पहले 16,000 घोड़े-खच्चरों की सैंपलिंग की गई है। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 26 मार्च को घोड़ों में एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस के लक्षण मिले थे। इसके बाद से उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने सख्त तैयारी शुरू कर दी।
152 सैंपल पॉजिटिव, RT-PCR में सभी निगेटिव
सैंपलिंग में 152 मामले शुरूआती जांच में पॉजिटिव पाए गए, लेकिन दोबारा RT-PCR जांच में सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। यात्रा के पहले दो दिनों में 13 घोड़ों की मौत की सूचना है, जिनमें 8 डायरिया और 5 एक्यूट कोलिक से मरे। विस्तृत जांच के लिए सैंपल बरेली स्थित IVRI भेजे गए हैं। संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए 22 से अधिक डॉक्टरों की टीम यात्रा मार्ग पर तैनात कर दी गई है।
विशेषज्ञों की टीम और स्थानीय रोक
पशुपालन विभाग ने एक मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, दो उप अधिकारी, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र और पंतनगर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉक्टरों को भी तैनात किया है। यात्रा में केवल स्वस्थ और निगेटिव रिपोर्ट वाले जानवरों को ही अनुमति दी जा रही है। हर साल करीब 2,000-3,000 घोड़े उत्तर प्रदेश से यात्रा मार्ग पर आते हैं, लेकिन इस साल संक्रमण को रोकने के लिए यूपी से आने वाले घोड़े-खच्चरों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है।
स्थानीय लोगों ने रोक बढ़ाने की मांग की
केदारनाथ घाटी के स्थानीय निवासियों, घोड़ा व्यवसायियों और संगठनों ने संक्रमण की संभावना को देखते हुए जानवरों पर लगी अस्थायी रोक को आगे बढ़ाने की मांग की है। पशुपालन सचिव ने बताया कि घोड़ों की अनुमति को लेकर फैसला जिला प्रशासन द्वारा लिया जाएगा। हालांकि यह वायरस इंसानों में नहीं फैलता, परंतु जानवरों में तेजी से फैलता है। सरकार ने चारधाम यात्रा को सुरक्षित बनाए रखने के लिए सभी यात्रियों और व्यापारियों से सहयोग की अपील की है।