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Uttarkashi Cloudburst 2025 : 300 लोग अभी भी फंसे, 650 को बचाया गया, कैंप में CM धामी? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तराखंड के धराली और हर्षिल में बादल फटने से आई तबाही के बाद अब भी 300 से ज़्यादा लोग फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी है, लेकिन लापता लोगों की सटीक संख्या को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। इस बीच, सरकार ने भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए वैज्ञानिकों की एक समिति गठित की है।
उत्तराखंड के धराली और हर्षिल इलाकों में बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है। पिछले दो दिनों में 650 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, लेकिन आशंका है कि अभी भी 300 लोग फंसे हुए हैं। जिंदगी बचाने की यह जंग जारी है, जहां सेना, NDRF और ITBP के जवान हर पल मौत से लड़कर लोगों की मदद कर रहे हैं। वहीं, इस आपदा के बाद लापता लोगों की संख्या पर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में 5 अगस्त को बादल फटने के बाद अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने इस इलाके को तहस-नहस कर दिया है। एक तरफ जहां बचाव दल दिन-रात लोगों को बचाने में लगा है, वहीं दूसरी तरफ फंसे हुए लोगों के परिवार वाले भी बेसब्री से अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं।
धराली में राहत कार्य के लिए हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भर रहे हैं और मातली हेलीपैड पर लोगों को सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद पिछले तीन दिनों से उत्तरकाशी में डेरा डाले हुए हैं और बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बृहस्पतिवार को 400 और शुक्रवार को 250 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है। इस आपदा में फंसे लोगों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
#WATCH उत्तराखंड | उत्तरकाशी के मातली हेलीपैड से लगातार तीसरे दिन भी आपदा प्रभावित धराली और हर्षिल क्षेत्रों के लिए हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हवाई अभियान जारी है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 9, 2025
धराली-हर्षिल आपदा में फंसे लोगों को हेलीकॉप्टरों के माध्यम से रेस्क्यू कर मातली हेलीपैड लाया जा रहा है, जहाँ से उनके… pic.twitter.com/zGuYkh8MHh
आखिर कितने लोग लापता हैं? असमंजस की स्थिति क्यों बनी है?
इस भयावह धराली आपदा में सबसे बड़ी चुनौती लापता लोगों की संख्या का पता लगाना है। एसडीआरएफ के मुताबिक, 9 सैनिक और 7 अन्य लोग लापता हैं। लेकिन, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है। धराली में कई जगहों पर होटल निर्माण का काम चल रहा था, जहाँ बिहार और नेपाल के कई मजदूर काम कर रहे थे। इसके अलावा, कई यात्री भी होटलों में ठहरे हुए थे। इनमें से कई लोगों का अभी तक कोई अता-पता नहीं है।
यह अनिश्चितता परिवारों की चिंता को और बढ़ा रही है। हर कोई अपने लापता परिजन के बारे में जानना चाहता है। बचाव दल अब ड्रोन और डॉग स्क्वॉड की मदद से लापता लोगों की तलाश कर रहा है ताकि सही संख्या का पता लगाया जा सके। यह एक धीमी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन हर एक जिंदगी कीमती है।
राहत कार्यों में चुनौतियां और उम्मीद की किरण
उत्तराखंड की धराली त्रासदी में बचाव कार्यों में कई मुश्किलें आ रही हैं। धराली, हर्षिल और उत्तरकाशी के बीच कई सड़कें टूट गई हैं, जिससे टीमों को प्रभावित इलाकों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। हालांकि, हर्षिल घाटी में मोबाइल संचार बहाल कर दिया गया है, जिससे बचाव दल के बीच समन्वय बेहतर हो रहा है। इसके साथ ही, बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए जनरेटर की व्यवस्था की जा रही है, जो रात के समय बचाव कार्यों में मदद करेगा।
इस आपदा के बाद सरकार अब भविष्य की तैयारियों पर भी ध्यान दे रही है। सचिव आईटी नितेश झा ने वैज्ञानिकों की एक समिति गठित की है। यह समिति आपदा की चेतावनी के लिए नए और आधुनिक तरीकों पर काम करेगी। इसमें इसरो, वाडिया और मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक शामिल हैं। समिति एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इससे भविष्य में ऐसी धराली आपदा को रोका जा सकता है और लोगों की जान बचाई जा सकती है।
एक सवाल जो सबको परेशान कर रहा है
इस त्रासदी के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। क्या भविष्य में ऐसी आपदाओं को रोका जा सकता है? क्या सरकार और प्रशासन ने पहले से पर्याप्त तैयारी नहीं की थी? ये ऐसे सवाल हैं जो त्रासदी से जूझ रहे लोगों के मन में घर कर गए हैं।
यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। उत्तराखंड के पहाड़, वहां की नदियां और लोग, ये सभी हमें एक बात सिखाते हैं कि प्रकृति का सम्मान करना ही हमारी सबसे बड़ी सुरक्षा है।
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