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Uttarkashi Disaster: अपनों के इंतजार में आंखें नम, रस्सियों पर लटकी उम्मीदें

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण गंगोत्री नेशनल हाईवे कई स्थानों पर टूट गया है, जिससे धराली और हर्षिल गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कट गया है।

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Ranjana Sharma
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उत्तरकाशी, वाईबीएन डेस्क: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। गंगोत्री नेशनल हाईवे पर कई जगहों पर सड़कें धंस गई हैं, पुल बह चुके हैं और राजमार्ग मलबे में तब्दील हो गया है। गंगनानी के पास बीआरओ का बना मजबूत पुल पूरी तरह बह गया है, जबकि नेताला और भटवारी के बीच की सड़क दलदल बन गई है। इन हालातों में धराली और हर्षिल तक पहुंचना फिलहाल नामुमकिन हो गया है।

रेस्क्यू टीमें और प्रशासन भी फंसे

राजमार्ग का बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाना राहत और बचाव कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बन गया है। भटवारी में न सिर्फ रेस्क्यू टीमें, बल्कि प्रशासन और मीडिया के लोग भी फंसे हुए हैं। आपदा के बाद से राहत टीमें अब भी धराली तक नहीं पहुंच पाई हैं।

सीएम धामी ने लिया जायजा

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को हर्षिल पहुंचकर हालात का जायजा लिया, लेकिन धराली तक का रास्ता बंद होने के कारण वहां नहीं पहुंच सके। कई क्षेत्रों में आईटीबीपी और सेना की टीमें राहत कार्यों में लगी हैं, लेकिन उनके हर्षिल कैंप को भी नुकसान पहुंचा है।

पुल बहा, सड़क खत्म, संपर्क पूरी तरह टूटा

एक 50 मीटर लंबा वैली ब्रिज, जो क्षेत्र के हजारों लोगों के लिए मुख्य आवागमन मार्ग था, नदी की तेज धार में बह गया। इसके बाद से धराली और हर्षिल का जमीनी संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है। गंगवानी पास जो एकमात्र सड़क मार्ग बचा था, वह भी अब पूरी तरह तबाह हो चुका है।

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स्थानीय लोग कर रहे पैदल जाने की कोशिश

गंगवानी में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए हैं, जो अपने परिजनों की खोज में धराली तक पैदल जाने को तैयार हैं। प्रशासन ने फिलहाल उन्हें रोका हुआ है क्योंकि रास्ता बेहद खतरनाक है और कोई सुरक्षित मार्ग नहीं बचा है।

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हवाई राहत अभियान शुरू, लेकिन चुनौतियां बड़ी

मौसम में कुछ सुधार के बाद प्रशासन ने हेली ऑपरेशन शुरू किया है। देहरादून से राहत सामग्री, दवाएं, सैटेलाइट फोन, कंबल और राशन भेजा जा रहा है। लेकिन आपदा की गंभीरता को देखते हुए यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया साबित हो रही है।

इमरजेंसी रोपवे से पहुंचाई जा रही मदद

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें वैकल्पिक रास्ता बनाने में जुटी हैं। बह चुके पुल के स्थान पर इमरजेंसी रोपवे तैयार किया जा रहा है। नदी के दोनों किनारों पर रस्सियां लगाई गई हैं और जवान एक-एक कर जिपलाइन के सहारे राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं।

टूट चुका है राष्ट्रीय राजमार्ग का 300 मीटर हिस्सा

गंगवानी के पास राष्ट्रीय राजमार्ग का लगभग 300 मीटर हिस्सा पूरी तरह मलबे में बदल गया है। इस हिस्से में अब भारी मशीनें भी नहीं पहुंच पा रहीं। वहीं, जो दूसरा कंक्रीट पुल था, वह भी बह चुका है। प्रशासन वैकल्पिक वैली ब्रिज बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सामग्री और मशीनरी वहां पहुंचाना भी मुश्किल बना हुआ है।

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बिजली बहाल, लेकिन राहत कार्य आज भी अधूरा

गंगवानी और आसपास के इलाके में बिजली की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी गई है, जिससे राहत कार्यों को थोड़ी गति मिली है। वेल्डिंग, मशीन संचालन और तकनीकी काम शुरू हो सके हैं। हालांकि, फुल स्केल राहत अभियान शायद अगले दिन से ही संभव हो पाएगा।  Uttarkashi Disaster

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