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लखनऊ, वाईबीएन संवाददाता। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को IIT KANPUR के 'समन्वय' से उद्योग-अकादमिक जुड़ाव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज इंडस्ट्री और अकादमिक संस्थानों के सहयोग का मुद्दा केवल शोध और नवाचार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीधे-सीधे आम नागरिक के जीवन स्तर, वैश्विक चुनौतियों और सतत विकास से जुड़ा हुआ है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और सस्टेनेबिलिटी जैसे विषयों पर मंथन, भारत को न केवल आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनाएगा, बल्कि तकनीक और विकास का वैश्विक केंद्र स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इंडस्ट्री–एकेडमिया सहयोग से वैश्विक चुनौतियों का समाधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हम जिस विषय पर एकत्र हुए हैं, वह केवल इंडस्ट्री–एकेडमिया सहयोग का 'समन्वय' ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने खड़ी चुनौतियों से जुड़ा हुआ है। ये चुनौतियां सीधे-सीधे आम नागरिक के जीवन स्तर को प्रभावित करती हैं। इसीलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सिक्योरिटी और सतत विकास (सस्टेनेबिलिटी) जैसे तीन महत्त्वपूर्ण स्तंभों पर तकनीकी सत्र होंगे और चर्चा होगी। कभी 17वीं शताब्दी तक भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वैश्विक जीडीपी में हमारा योगदान 25 प्रतिशत तक था। लेकिन 150-200 वर्षों में ऐसा क्या कुछ हुआ कि यह लगातार गिरता गया और 1947 तक आते-आते भारत का योगदान केवल 2 प्रतिशत रह गया। सीएम योगी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में हमने भारत को बदलते हुए देखा है। आज भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और अगले दो वर्षों में तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। आगे चलकर हमें दूसरी अर्थव्यवस्था बनने का अवसर भी मिलेगा। यह यात्रा केवल आर्थिक विकास की नहीं है, बल्कि विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में है।
हर अक्षर, हर वनस्पति और हर मनुष्य में कुछ बनने की क्षमता
IIT KANPUR का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका गौरवशाली इतिहास है। पिछले छह दशकों में इस संस्थान ने देश को तकनीक की दिशा में बहुत कुछ दिया है। हाल ही में मैंने नोएडा में ड्रोन टेक्नोलॉजी केंद्र का दौरा किया। वहां IIT KANPUR से जुड़े लोग भी मिले। मैंने देखा कि हमारे युवा नई सामरिक चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे तैयार हो रहे हैं। IIT KANPUR भी उसमें अपना योगदान दे रहा है। हमें हमेशा यह विश्वास रखना चाहिए कि हम कर सकते हैं। दुनिया का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला भी भारत में था। वहीं से चरक और सुश्रुत जैसे आयुर्वेदाचार्य निकले। यही हमारी परंपरा है कि हर अक्षर, हर वनस्पति और हर मनुष्य में कुछ बनने की क्षमता होती है। बस एक जोड़ने वाले की आवश्यकता होती है। मुझे विश्वास है कि IIT जैसे संस्थान वही जोड़ने का काम कर रहे हैं।