नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
ब्रह्माण्ड रहस्यों से भरा है। वैज्ञानिक लम्बे समय से ब्लैक के बारे में अध्ययन कर रहे हैं। ब्लैक होल को ‘कृष्ण विविर ’ भी कहा जाता है। यह अंतरिक्ष में एक ऐसा क्षेत्र है, जहां गुरुत्वाकर्षण सबसे ज्यादा है। ये गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक है कि इसमें जाने वाली कोई चीज लौटकर वापस नहीं आती है। इस पर फिजिक्स का कोई भी नियम काम नहीं करता है। शोधकर्ताओं ने इसको लेकर एक नया दावा किया है जिसमें बताया गया है कि ब्लैक होल अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
ब्लैक होल ऐसे बनाते हैं भोजन
अभी हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसको लेकर नए दावे किए हैं। जिसमें बताया गया है कि ब्लैक होल को भी भोजन की आवश्यकता होती है और ये अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। नासा के चंद्र एक्स रे ऑबजर्वेटरी और वेरी लार्ज टेलीस्कोप से मिले सबूत में यह बताया गया है ब्लैक होल से निकलने वाले विस्फोटों से इसमें मौजूद गैसों को ठण्डा होने में मदद मिलती है। जिससे वे खुद अपने लिए भोजन बना लेते हैं।
सूर्य से कई गुना बड़ा है इनका आकार
ब्रह्माण्ड में मौजूद गैलेक्सी में ब्लैक होल पाया जाता है। इसका द्रव्यमान सूर्य से लाखों गुना ज्यादा है। ये ब्लैक होल इनमें मौजूद गैसों के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं। शोधकर्ताओं ने एक मॉडल के जरिए इसका अध्ययन किया जिससे पता चलता है कि विस्फोटों के कारण गैस ठंडी हो जाती है, जिससे इसके फिलामेंट बन जाते हैं। इन गैसों में होने वाली हलचल भी इन विस्फोटों के लिए जिम्मेदार है।
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नई खोज है महत्वपूर्ण
इस मॉडल के अनुसार इन फिलामेंट में से कुछ गैस को गैलेक्सी की ओर बहना चाहिए ताकि ब्लैक होल को भोजन मिल सके। जिससे आगे विस्फोट होने में मदद मिलती है। इस नई खोज से सिर्फ इसके भोजन बनाने के बारे में ही पता नहीं चलता बल्कि नये तारे कैसे बनते हैं इसकी भी जानकारी मिलती है।
ब्लैक होल- ब्लैक होल अंतरिक्ष में ऐसी जगह है, जिसके अंदर कोई भी चीज नहीं जा सकती है। यहां कुछ भी पहुंचने से पहले ही जलकर राख हो जाता है। इसका गुरुत्वाकर्षण सबसे ज्यादा है। इसकी खोज कार्ल स्क्वार्ज़स्चिल्ड और जॉन व्हीलर ने की थी। ब्लैक होल के रहस्यों को उजागर करने में स्टीफन हॉकिंग ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
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