नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
पूरी दुनिया ईवी की तरफ शिफ्ट हो रही है। भारत में भी इसका बाजार तेजी से बदल रहा है। पेट्रोल- डीजल से चलने वाले वाहन पर लोगों की निर्भरता खत्म हो रही है। बड़ी - बड़ी टेक कंपनियां अपने ईवी वाहन को लॉन्च किया है। हाल ही में ग्लोबल ब्रोकरेज और फाइनेंशियल सर्विस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने भारत की विकसित हो रही इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) नीति की सराहना की है। इससे टेस्ला जैसी कंपनियों को देश में सहज तरीके से प्रवेश करने में मदद मिलेगी। नोमुरा के अनुसार, भारत की ईवी नीति इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की प्रक्रिया को तेज करेगी, जिससे टेस्ला और दूसरे ग्लोबल वाहन निर्माताओं के लिए निवेश करना आसान हो जाएगा।
2030 तक 20 प्रतिशत तक बढ़ेगी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री
नीतिगत बदलाव से भारत के चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार होने की भी उम्मीद है, जिससे प्रमुख सप्लायर्स को लाभ होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, "कारों में ईवी पेनिट्रेशन, जो पिछले दो वर्षों में लगभग 2 प्रतिशत रही है, वित्त वर्ष 2027 तक इसके 5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 30 तक 9 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।" इसी तरह, रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को अपनाने की दर वित्त वर्ष 2025 में 5.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2027 तक 10 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत होने का अनुमान है।
भारत में ईवी का वर्तमान और भविष्य
भारत में ईवी की संख्या लगातार बढ़ रही है। साल 2023-24 में ईवी की बिक्री 41 लाख यूनिट को पार कर गई है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा कि साल 2030 तक यह 2.8 करोड़ को पार कर सकती है। भारत में ईवी की मांग को पूरा करने के लिए, साल 2032 तक स्थापित क्षमता को 900 गीगावाट करने की जरूरत होगी।
ईवी वाहन बनाने वाली भारतीय कंपनियां
भारत की कई कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बनाती हैं। इनमें टाटा मोटर्स, महिंद्रा, बजाज ऑटो, ओला इलेक्ट्रिक, टीवीएस, अशोक लेलैंड, ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक जैसी कंपनियां शामिल हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा मोटर्स ने 2024 में कुल 68,980 प्योर इलेक्ट्रिक कारें बेची है। मौजूदा समय में टाटा मोटर्स बजट और प्रीमियम रेंज में इलेक्ट्रिक कारें बेच रही है।
25 से 30 लाख के बीच हो सकती है टेस्ला की कीमत
घरेलू ऑटो सहायक कंपनियां जो पहले से ही टेस्ला के अमेरिकी परिचालन को घटक निर्यात करती हैं, उन्हें अतिरिक्त व्यवसाय से लाभ हो सकता है। इसी बीच, वैश्विक ब्रोकरेज सीएलएसए ने कहा कि विस्तारित भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में विस्तार करने के लिए, अमेरिकी प्रमुख टेस्ला को देश के भीतर अपनी कारों का निर्माण करने और उनकी कीमत 25 लाख रुपये से 30 लाख रुपये के बीच रखने की जरूरत होगी।
ब्रोकरेज ने अपने नोट में आगे कहा कि टेस्ला के प्रवेश से मारुति सुजुकी इंडिया, हुंडई मोटर्स इंडिया और टाटा मोटर्स जैसी घरेलू कंपनियों पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि भारत में ईवी की पहुंच विकसित हो रही है और विकास के भरपूर अवसर हैं।