नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
चीनी एआई स्टार्टअप द्वारा अपने मॉडल आर1 को जारी करने के बाद, डीपसीक को तकनीक दुनिया से काफी तारीफ मिल रही है। इसने आते ही तहलका मचा दिया है , जिससे न्यूयॉर्क से लेकर टोक्यो तक के बाजारों में तकनीकी शेयरों में बहुतायत रूप से गिरावट देखने को मिली है।
इसके R1 मॉडल की क्वालिटी और कॉस्ट ही मुख्य रूप से डीपसीक की लोकप्रियता में वृद्धि का कारण है। कंपनी ने दावा किया है कि इसका AI मॉडल प्रदर्शन में OpenAI के o1 रीजनिंग मॉडल से मेल खाता है और कुछ मामलों में उससे बेहतर है,
डीपसीक के बारे में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि इसके एआई मॉडल कैसे विकसित किए गए और इतने कम समय में बाजार में इसकी मांग कैसे बढने लगी । जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ती है, आइए डीपसीक के उदय के बारे में कुछ आम मिथकों को तोड़ते हैं।
एजीआई एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल तकनीकी इंडस्ट्री द्वारा ऐसे एआई मॉडल का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो कई तरह के कार्यों में मानव के बराबर या उससे आगे निकलने में सक्षम हो। अभी तक किसी ने यह घोषणा नहीं की है कि उन्होंने ऐसा कोई एआई मॉडल विकसित किया है। हालाँकि, ओपनएआई और उसके कुछ कॉम्पीटीटर ने कहा है कि वे एजीआई मील के पत्थर तक पहुँचने के लिए उत्सुकता से काम कर रहे हैं।
डीपसीक चीन के हांग्जो शहर में स्थित एक स्टार्ट अप कंपनी है , जो हाई डेंनसिटी टेक्नोलॉजी के लिए जानी जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार डीपसीक ने डीपसीक R-1 को लॉन्च किया है। ये मॉडल आते ही दुनिया में छा गया है। इसने बहुत ही कम समय में लोकप्रियता हासिल कर ली है। डीपसीक ने दावा किया है ये मॉडल कई अन्य मॉडल की तुलना मे बेहतर परफोर्मंस कर सकता है और उनको टक्कर दे सकता है।
ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने बार-बार भरोसा जताया है कि चैटजीपीटी-निर्माता एजीआई हासिल कर लेगा। डीपसीक के इर्द-गिर्द हो रही चर्चा पर अपनी प्रतिक्रिया में ऑल्टमैन ने फिर से एजीआई पर ध्यान केंद्रित किया और आर1 मॉडल को 'प्रभावशाली' बताया।
डीपसीक के बारे में कई मिथक हैं जो आम लोगों को नहीं पता है।
क्या डीपसीक एनवीडिया के लिए एक गंभीर खतरा है
- ऐसा बिल्कुल नहीं है। एनवीडिया का कहना है कि पहले डीपसीक के बारे में सुनकर निवेशक घबरा रहे थे,इसी वजह से शेयर मार्केट डाउन हुआ था। एनवीडिया का अपना वर्चस्व कायम है।
क्या डीपसीक लोगों की प्राइवेसी को नुकसान पहुंचा सकता है।
- हां ये बात सही है इसके आने से लोगों की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है। तकनीक बाजार में ये नया होने के कारण इस पर आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता है।