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बदलते परिवेश में कितनी सटीक हो सकती हैं Artificial Intelligence की भविष्‍यवाणी ?

वैज्ञानिकों ने एआई को लेकर एक दावा किया है । उनका कहना है कि यह भविष्‍य में होने वाली घटनाओं को पहले से ही बता सकता है। अब देखना ये है कि यह बात कितनी सच साबित होगी।

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Suraj Kumar
AI FUTURE
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने इंसानों के काम को बहुत हद तक आसान कर दिया है। हमारे घर से लेकर ऑफिस तक हर जगह एआई का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। कुछ समय पहल एक खबर आई थी कि एआई लोगों के भविष्‍य को बता सकता है। किसकी कब नौकरी लगेगी या पढाई में कौन बेहतर करेगा, इसके बारे में पहले ही बता सकता है। 

एआई को लेकर वैज्ञानिकों का दावा 

वैज्ञानिकों ने एआई को लेकर एक और दावा किया है । उनका कहना  है कि यह भविष्‍य में होने वाली घटनाओं को भी बता सकता है। साल 2024 में मई को सबसे गर्म दिन बताया जा रहा है। हाल ही में शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है कि एआई इस सोलर स्‍टोर्म के बारे में पहले से ही बता सकता था। अध्‍ययन में बताया गया है कि यह मॉडल सौर इमेज और कुछ आंकडों का अवलोकन करता है। यह वायुमण्‍डल में मौजूद सूक्ष्‍म संकेतों की तलाश करता है। इसके कुछ पैमाने होते हैं जैसे सौलर विंड की गति और सौर ज्‍वालाओं की स्थिति।  

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मई 2024 में आया था  सौलर तूफान 

वह तूफान सूर्य पर एक्टिव AR13664 नाम के सनस्‍पॉट से निकला था। जेनोआ यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का मानना है कि ऐतिहासिक सौर घटनाओं पर एआई को ट्रेनिंग दी जाए तो वह कोरोनल मास इजेक्शन (CME) से पहले के पैटर्नों की पहचान कर सकता है। सूर्य से निकलने वाले CME ही सौर तूफान का रूप ले लेते हैं।  

अगर भविष्‍य में एआई, सौर तूफान की भविष्‍यवाणी कर पाया तो यह बड़ी कामयाबी होगी। मौजूदा वक्‍त में वैज्ञानिक जिन तकनीकों और पद्धतियों का इस्‍तेमाल करते हैं मसलन-सोलर इमेज और डेटा, उससे सौर तूफान का सटीक आकलन नहीं हो पाता है।

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कोरोनल मास इजेक्शन क्‍या है ? 

कोरोनल मास इजेक्शन  सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्‍नेटिक फील्‍ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्‍तार होता है और अक्‍सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्‍नेटिक फील्‍ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्‍वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्‍नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्‍यादा होने पर ये पृथ्‍वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं। 

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