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सूर्य में हुआ आठ लाख किलामीटर का Coronal Hole, धरती पर पड़ सकता है ये असर

सूर्य की सतह पर लगभग 800,000 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल कोरोनल छेद उभरा है। इस क्षेत्र से तेज़ गति वाली सोलर हवा निकल रही है और 31 जनवरी तक पृथ्वी तक पहुँचने की उम्मीद है।

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Suraj Kumar
Coronal Hole
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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आज आकाश में बडी खगोलीय घटना होने वाली है, जिसको सुनकर आप सभी को झटका लग सकता है।  सूर्य की सतह पर लगभग 800,000 किलोमीटर की दूरी पर एक विशाल कोरोनल छेद उभरा है। इस क्षेत्र से तेज़ गति वाली सौर हवा निकल रही है और 31 जनवरी तक पृथ्वी तक पहुँचने की उम्मीद है। अंतरिक्ष मौसम विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि इस घटना में मामूली भू-चुंबकीय तूफान की स्थिति पैदा हो सकती है।  इससे high latitude क्षेत्रों में ऑरोरल के आकार को बढ़ा सकती है । इस क्षेत्र में सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के खुलने से charged particles 500 किलोमीटर प्रति सेकंड से अधिक की गति से अंतरिक्ष में  तैर सकते हैं। 

Solar wind and geomagnetic storm की घटना हो सकती है 

एक रिपोर्ट के अनुसार  कोरोनल होल से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर पर असर पड़ने की उम्मीद है। इससे धरती के चुम्‍बकीय क्षेत्र में गडबडी हो सकती है। जिसमें नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ( NOAA ) ने बताया कि इससे क्षण के लिए पृथ्‍वी के चम्‍बकीय क्षेत्र पर असर पड सकता है। इससे ध्रुवों के करीब ऑरोरा के कणों की गति देखी जा सकती है।

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सोलर विंड से निकलने वाले चार्ज्ड पार्टीकल धरती के मैग्नेटिक फील्‍ड के साथ रिऐक्शन करते हैं। इससे वातारवण में मौजूद ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के पार्टीकल्‍स उत्‍तेजित हो जाते हैं। यह सब घटना ऑरोरा के द्वारा होती है। इससे ध्रुवों के करीब तेज रोशनी पैदा होती है। सूर्य की इस घटना से ऑरोरल गतिविधि और भी तेज हो सकती है। जिससे अंतरिक्ष के मौसम में अचानक से बदलाव आ सकता है।  

ऑरोरा क्या है 

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ऑरोरा एक प्राकृतिक घटना है, जिसे ध्रुवीय रोशनी भी कहा जाता है. यह तब होती है, जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में सूर्य से आने वाले आवेशित कण फंस जाते हैं।  ये कण वायुमंडल के निचले क्षेत्रों में चले जाते हैं और वहां मौजूद गैसों से टकराते हैं।  इस टकराव से निकलने वाली ऊर्जा से ध्रुवों के आस-पास रंगीन चमक पैदा होती है. 

ऑरोरा के बारे में कुछ और बातें

  • ऑरोरा की घटना उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के आस-पास दिखाई देती है  
  • उत्तरी ध्रुव पर होने वाले ऑरोरा को ऑरोरा बोरियालिस और दक्षिणी ध्रुव पर होने वाले ऑरोरा को ऑरोरा ऑस्ट्रालिस कहते हैं।  
  • ऑरोरा बोरियालिस को 'उत्तरी रोशनी' और ऑरोरा ऑस्ट्रालिस को 'दक्षिणी रोशनी' भी कहा जाता है। 
  • ऑरोरा को वसंत और शरद ऋतु में ज़्यादा देखा जा सकता है। 
  • ऑरोरा रात 9 बजे से सुबह 2 बजे के बीच सबसे ज्‍यादा दिखाई देता है  
  • कुछ लोग ऑरोरा को समुद्र में जहाज से देखना शुभ मानते हैं। 
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