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ओला-उबर को टक्‍कर देने के लिए आ रहा महाराष्ट्र सरकार का Chhaava Ride App, कब होगा लॉन्‍च?

महाराष्ट्र सरकार ओला-उबर को टक्कर देने और मराठी युवाओं को रोजगार देने के लिए ‘छावा राइड’ ऐप लॉन्च करने जा रही है। यह ऐप ST महामंडल के माध्यम से चलेगा और बस, ऑटो, टैक्सी जैसी सेवाएं देगा।

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Suraj Kumar
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन डेस्‍क। राइडिंग प्‍लेटफॉर्म ओला- उबर को टक्‍कर देने और महाराष्‍ट्र में चालकों को सम्‍मानजनक मेहनताना देने के लिए देने के लिए सरकार 'छावा राइड' ऐप लॉन्‍च करने की तैयारी कर रही है। महाराष्‍ट्र सरकार ने इसका खाका तैयार कर लिया है। सुरक्षित यात्रा की गारंटी देने वाला राज्य सरकार का आधिकारिक यात्री ऐप जल्द ही ST महामंडल के माध्यम से शुरू किया जाएगा। यह जानकारी परिवहन मंत्री और ST महामंडल के अध्यक्ष प्रताप सरनाईक ने दी। सरनाईक अपने मंत्रालय में केंद्र और राज्‍य सरकार की एग्रीगेटर नीति के तहत राज्‍य का ऐप तैयार करनी योजना पर बोल रहे थे। 

मराठी युवाओं को मिलेगा रोजगार 

मंत्री सरनाईक ने कहा कि राज्य सरकार का प्रमुख लक्ष्य मराठी युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर देना और यात्रियों व चालकों को निजी कंपनियों की मुनाफाखोरी से मुक्त कराना है। इसी उद्देश्य से सरकार ने आधुनिक तकनीक पर आधारित एक यात्री ऐप लॉन्च करने का फैसला लिया है, जिसके जरिए बस, ऑटो, टैक्सी और ई-बस जैसी सेवाएं उपलब्ध होंगी। यह ऐप परिवहन विभाग के सहयोग से एसटी महामंडल द्वारा संचालित किया जाएगा।

सरकार करेगी सहायता 

मंत्री प्रताप सरनाईक ने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार की मंजूरी मिलने के बाद यह ऐप जल्द शुरू करने की तैयारी है। मुंबई बैंक के अध्यक्ष और विधायक प्रवीण दरेकर ने कहा कि जो मराठी युवक-युवतियां सरकार के ST महामंडल वाले ऐप के जरिए रोजगार पाएंगे, उन्हें मुंबई बैंक की तरफ से खास आर्थिक मदद दी जाएगी। प्रवीण दरेकर ने बताया कि मराठी युवाओं को वाहन खरीदने के लिए 10% ब्याज पर लोन दिया जाएगा। इसके साथ ही अण्णासाहेब आर्थिक विकास महामंडल, भटके विमुक्त महामंडल, ओबीसी महामंडल और एमएसडीसी जैसी संस्थाएं 11% ब्याज की सब्सिडी देंगी, जिससे लोन लगभग बिना ब्याज का हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार की एग्रीगेटर गाइडलाइन्स के अनुसार इस सरकारी ऐप की नियमावली लगभग तैयार है। इसे जल्‍द ही लॉन्‍च किया जाएगा। 

फिलहाल कई निजी कंपनियां अनधिकृत ऐप्स से ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं और ड्राइवरों व यात्रियों को नुकसान पहुंचा रही हैं।

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