नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।अब जल्द ही मोबाइल रिचार्ज करवाने के लिए भारतीयों को अब एक्ट्रा पैसे चुकाने होंगे। क्योंकि टेलीकॉम कंपनियां जल्द ही टैरिफ बढ़ाने वाली हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां जैसे Airtel, Reliance Jio और Vodafone Idea (Vi) 2025 के अंत तक टैरिफ बढ़ा सकती हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि कंपनियां टैरिफ में समय-समय पर बढ़ोतरी करेंगी ताकि अपनी कमाई को स्थिर और बेहतर बनाया जा सके। बाजार में फिलहाल कुछ गिनी-चुनी कंपनियों का दबदबा है, जिनमें Airtel और Jio लगातार अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं।
6 साल चौथी बार बढ़ेंगी कीमतें
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म Bernstein की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में टेलीकॉम कंपनियां दिसंबर 2025 तक टैरिफ में 10 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह पिछले 6 वर्षों में चौथी बार टैरिफ बढ़ोतरी होगी। पिछली बार जुलाई 2024 में कंपनियों ने अपने टैरिफ 25 फीसदी तक बढ़ाए थे। टैरिफ बढ़ाने का मकसद 4G नेटवर्क को मजबूत करना और 5G टेक्नोलॉजी के विस्तार में आने वाले खर्चों को पूरा करना है।
साल के अंत तक लागू हो सकती है टैरिफ पॉलिसी
रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर या दिसंबर 2025 में टैरिफ बढ़ोतरी हो सकती है, जो मौजूदा टैरिफ सुधार प्रयासों का हिस्सा होगी। यह कदम टेलीकॉम सेक्टर की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेगा और कंपनियों को ज्यादा कमाई की संभावना देगा। ब्रोकरेज फर्म ने यह भी बताया कि 2025 से 2027 के बीच Airtel और Jio की आमदनी में अच्छी बढ़ोतरी हो सकती है। इसका कारण नए ग्राहकों से ज्यादा, मौजूदा ग्राहकों से ज्यादा रेवेन्यू निकालने की रणनीति होगी।
आर्थिक संकट से जूझ रही वोडाफोन को मिलेगी राहत
इस बीच Vodafone Idea (Vi) अब भी आर्थिक संकट से जूझ रही है, लेकिन सरकार ने स्पेक्ट्रम की बकाया रकम को कंपनी के शेयरों में बदलने की अनुमति दी है। इससे सरकार की हिस्सेदारी 22.6% से बढ़कर 48.99% हो गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि वह बाजार में तीन बड़ी कंपनियों के मॉडल को बनाए रखना चाहती है। इससे प्राइस डिसिप्लिन और भविष्य में टैरिफ हाइक की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
15 फीसदी तक बढ़ सकती हैं कीमतें
Bernstein ने अनुमान लगाया है कि दिसंबर 2025 में करीब 15% टैरिफ हाइक हो सकती है, जिसके बाद 2026 से 2033 तक हर साल टैरिफ में हल्की-फुल्की बढ़ोतरी होती रहेगी। हालांकि, इन बढ़ोतरी की मात्रा पहले की तुलना में थोड़ी कम रह सकती है, लेकिन इनके चलते कंपनियां सालाना 10 फीसदी तक की कंपाउंड ग्रोथ रेट (CAGR) हासिल कर सकती हैं।