नई दिल्ली, आईएएनएस। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि एमआरआई स्कैन में इस्तेमाल होने वाली एक जहरीली धातु गैडोलिनियम इंसानी शरीर के अंदर जाकर छोटी-छोटी धातु कणों (नैनोपार्टिकल्स) का रूप ले सकती है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू मैक्सिको के शोधकर्ताओं ने गैडोलिनियम से होने वाले स्वास्थ्य खतरों का अध्ययन करते समय यह पाया कि ऑक्सैलिक एसिड जो कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है गैडोलिनियम से मिलकर शरीर में नैनोपार्टिकल्स बना सकता है।
शरीर के अंगों में गंभीर समस्याएं
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इस शोध को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। प्रोफेसर ब्रेंट वैगनर के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया। उनका कहना है कि ये नैनो कण शरीर के अंगों, जैसे कि गुर्दों और फेफड़ों, में गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "एमआरआई कंट्रास्ट एजेंट्स से होने वाली सबसे खराब बीमारी नेफ्रोजेनिक सिस्टमिक फाइब्रोसिस है। एक ही खुराक के बाद लोग इसकी चपेट में आ गए हैं। यह आमतौर पर शरीर से बाहर निकल जाता है और ज्यादातर लोगों को कोई नुकसान नहीं होता।"
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सालों बाद भी इसका असर
वैगनर ने कहा कि एमआरआई स्कैन से पहले गैडोलीनियम आधारित कंट्रास्ट एजेंट को इंजेक्ट किया जाता है, जिससे क्लियर स्कैन बनाने में मदद मिलती है।लेकिन कुछ मामलों में, यह धातु शरीर में रह जाती है। यहां तक कि उन लोगों में भी, जिन्हें कोई लक्षण नहीं होते। यह धातु सालों बाद भी खून और मूत्र में पाई जा सकती है। वैज्ञानिक अब दो बातों को समझने की कोशिश कर रहे हैं- जब ज्यादातर लोगों को कोई नुकसान नहीं होता, तो कुछ ही लोगों को ये गंभीर बीमारी क्यों होती है? गैडोलिनियम शरीर में जाकर कैसे अलग हो जाता है और खतरनाक कण बना लेता है?
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ऑक्सैलिक एसिड पर ध्यान
शोध में यह भी पता चला कि जिन लोगों को बीमारी हुई, उनमें से करीब आधे लोगों को सिर्फ एक बार एमआरआई में यह इंजेक्शन दिया गया था। इसका मतलब है कि कोई और चीज इस असर को बढ़ा रही है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने ऑक्सैलिक एसिड पर ध्यान केंद्रित किया जो धातुओं से आसानी से जुड़ जाता है और कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। यही प्रक्रिया शरीर में किडनी स्टोन बनाने का कारण भी बनती है, जब यह कैल्शियम से मिल जाता है।
जब वैज्ञानिकों ने टेस्ट ट्यूब में प्रयोग किया, तो उन्होंने देखा कि ऑक्सैलिक एसिड गैडोलिनियम को कॉन्ट्रास्ट एजेंट से अलग कर देता है, जिससे छोटे-छोटे धातु कण बनते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं में पहुंच जाते हैं। इस खोज से यह समझने में मदद मिल सकती है कि एमआरआई स्कैन से जुड़े कुछ खतरों को कैसे कम किया जाए।
प्रोफेसर वैगनर ने कहा, "अगर मुझे कंट्रास्ट वाली एमआरआई करवानी हो, तो मैं विटामिन सी नहीं लूंगा, क्योंकि धातु की प्रतिक्रिया हो सकती है। मुझे उम्मीद है कि हम इन लोगों की मदद के लिए कुछ सुझावों के करीब पहुंच रहे हैं।"
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