नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
वैज्ञानिकों ने 50 साल पुराने मंगल ग्रह से जुडे एक रहस्य को सुलझा दिया है। शोधकर्ता इस बात का पता नहीं लगा पा रहे थे कि मंगल ग्रह का एक हिस्सा दूसरे से इतना अलग क्यों हैं। दरअसल मंगल का उत्तरी हिस्सा दक्षिणी हिस्से से लगभग 5 से 6 किलोमीटर कम गहरा है और उत्तरी हिस्से की भूपर्पटी यानि क्रस्ट भी काफी पतली है। इसको वैज्ञानिक भाषा में ‘ मार्टिन डिकोटॉमी ‘ कहा जाता है। शोधकर्ताओं को 1970 के दशक में इसके बारे में पता चला जब नाशा के वाइकिेंग आर्बिटर ने मंगल ग्रह से इसकी तस्वीर भेजी थी।
Artificial Intelligence: Open AI की इस नई Technology से ऐसे बढ़ेगी इंसान की उम्र, जियेगा इतने साल...
भूकंप के कारण आया ये बदलाव
जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि मंगल ग्रह में बदलाव ब्रह्माण्ड में किसी टकराव के कारण हुआ है लेकिन ताजा रिपोर्ट मे यह बात सामने आई है कि मंगल के भीतर हीट ट्रांसफर के कारण ऐसा हुआ है। नाशा के इनसाइट लैंडर से मिले डेटा में बताया गया है भूकंप के कारण मंगल की सतह में यह बदलाव आया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि कुछ समय पहले मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की तरह ही टेक्टोनिक प्लेटें थी। इन प्लेटों के नीचे पिघली चट्टानों ने कुछ ऐसा बनाया जो अपनी जगह पर जम गया। जब टेक्टोनिक प्लेटों ने गति करना बंद कर दिया तो सतह पर कहीं उभार आ गया। अरबों साल पहले मंगल ग्रह के भीतरी भाग से निकलने वाली गर्मी के कारण भूपर्पटी का निर्माण हुआ था।
मैग्नेटिक फील्ड से जीवन की संभावना
ग्रह के उत्तरीय भाग की अपेक्षा दक्षिणीय भाग में मैग्नेटिक फील्ड अधिक है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस घटना के बारे में कुछ भी अधिक जल्दबाजी होगी। इस घटना को बेहतर समझने के लिए मंगल ग्रह पर भूकंप की घटनाओं को अध्ययन करना जरूरी है। हार्वर्ड के पैलियोमैग्नेटिक्स लैब के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला कि मंगल ग्रह पर चुम्बकीय क्षेत्र का होना जीवन की संभावना को बढ़ाता है।
यह भी देखें: Artificial Intelligence :अब एआई बताएगा लोगों का भविष्य