Action: नाबालिग को साध्वी बनाने वाले महंत अखाड़े से निष्कासित, किशोरी को घर लौटाया
13 वर्षीय नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि पर आखिर गाज गिर गई है। आगरा के पेठा कारोबारी की बेटी के मन में वैराग्य का भाव जागृत हो गया था।
प्रयागराज महाकुंभ के प्रथम अमृत महा स्नान पर्व से पहले आगरा की 13 वर्षीय नाबालिग को साध्वी बनाकर दान के रूप में प्राप्त करने वाले जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि को सात वर्ष के लिए अखाड़े से निष्कासित कर दिया गया है। रमता पंच की मौजूदगी में अखाड़े के शीर्ष पदाधिकारियों की पंचायत में यह निर्णय लिया गया। इसी के साथ साध्वी बनाई गई बालिका को उसके घर वापस भेजा दिया गया है। जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने नाबालिग को दीक्षा दिलाई थी।
अखाड़े के शीर्ष पदाधिकारियों की पंचायत में लिया निर्णय
प्रयागराज में रमता पंच की मौजूदगी में अखाड़े के शीर्ष पदाधिकारियों की पंचायत में यह निर्णय लिया गया। इस पंचायत में संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरि, जूना अखाड़े के सभापति महंत प्रेम गिरि, प्रवक्ता और दूधेश्वरनाथ पीठाधीश्वर महंत नारायण गिरि, मेला प्रभारी मोहन भारती, सचिव महेश पुरी शामिल हुए। इस फैसले के बाद साथ साध्वी बनाई गई बालिका को उसके घर वापस भेज दिया गया। राखी के माता-पिता का कहना था कि उनकी बेटी शुरू से साध्वी बनना चाहती थी।
आगरा की रहने वाली राखी पेठा कारोबारी की बेटी है। उसे जूना अखाड़े के महंत कौशल गिरि ने दान के रूप में प्राप्त करने का दावा करते हुए उसे साध्वी बना लिया था। जूना अखाड़े में बालिका साध्वी की पोशाक में नजर आई थी। बताया जाता है कि संन्यासिनी की इस पंचायत में संरक्षक श्रीमहंत हरि दीक्षा दिलाने के बाद महाकुंभ में धर्म ध्वजा पर संस्कार कराया जाएगा। इसके बाद परंपरा के अनुसार बालिका के जीते जी पिंडदान कराने की भी बात की गई थी।
आगरा के पेठा व्यवसायी का परिवार दिसंबर में प्रयागराज घूमने आया था, तभी 13 वर्षीय राखी के मन में वैराग्य का भाव जागृत हो गया। राखी की जिद से उसके मां-बाप को गहरा झटका लगा, लेकिन वे उसे अपने फैसले को बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सके। बेटी की जिद पर माता–पिता ने उसे जूना अखाड़े के महंत कौशलगिरि को दान कर दिया। संन्यास के बाद राखी का नया नाम गौरी गिरि महारानी रखा गया था।