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अल कायदा के निशाने पर असम से लेकर गुजरात तक, ISI के खौफनाक मंसूबे उजागर

गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने संगठन की विचारधारा फैलाने और धन जुटाने के लिए फेक करेंसी रैकेट चलाने के आरोप में मोहम्मद फैक, मोहम्मद फरदीन, सेफुल्लाह कुरैशी और जीशान अली को गिरफ्तार किया। 

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Mukesh Pandit
Al Qaeda India
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नई दिल्ली/गांधीनगर, आईएएनएस । गुजरात में अल-कायदा के आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ एक बार फिर देश में इस संगठन के खतरनाक मंसबों की तरफ इशारा कर रहा है। गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने संगठन की विचारधारा फैलाने और धन जुटाने के लिए फेक करेंसी रैकेट चलाने के आरोप में मोहम्मद फैक, मोहम्मद फरदीन, सेफुल्लाह कुरैशी और जीशान अली को गिरफ्तार किया। 

एटीएस ने इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया

एटीएस की शुरुआती जांच में पता चला कि गिरफ्तार आतंकियों के पास अपने कम्युनिकेशन के किसी भी निशान को मिटाने के लिए ऑटो डिलीट एप्लिकेशन थे। गुजरात एटीएस ने इस नेटवर्क का भंडाफोड़ किया। यह एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता है, क्योंकि उपमहाद्वीप में अल-कायदा इंडियन सबकॉन्टिनेंट (एक्यूआईएस) का सबसे बड़ा निशाना गुजरात है। 

आईएसआई भारत में अपनी नापाक गतिविधियां बढ़ा सकती है

इस मॉड्यूल का भंडाफोड़ इस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है कि भारतीय एजेंसियों ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए 
चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद आईएसआई भारत में अपनी नापाक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए एक्यूआईएस का इस्तेमाल कर सकती है।अयमान अल-जवाहिरी के नेतृत्व में 2014 में गठित अल-कायदा ने भारत पर अपनी गतिविधियों को केंद्रित कर रखा था। उपमहाद्वीप में इसका प्रमुख भारतीय मूल का असीम मुनीर था। उमर ने मुख्यतः जम्मू-कश्मीर, गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों में संगठन को स्थापित कर दिया था।

भारत में भगवा शासन के खिलाफ युद्ध छेड़ें

भारत के प्रति एक्यूआईएस के इरादे तब स्पष्ट हो गए, जब उसने ऐलान किया कि सभी भारतीय मुसलमानों का दायित्व है कि वे भारत में भगवा शासन के खिलाफ युद्ध छेड़ें, क्योंकि उसने पाकिस्तान में मस्जिदों और बस्तियों को निशाना बनाया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जारी इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि आईएसआई इस संगठन के जरिए भारत में पैठ बढ़ाना चाहती है। यह बयान ऐसे समय में आया, जब यह माना जा रहा था कि एक्यूआईएस कोई बड़ा खतरा नहीं है।

पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करना था

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वास्तव में यह एक रणनीतिक बयान था और इसका उद्देश्य पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करना था। ऐसे समय में जब पाकिस्तान को जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के ठिकानों को फिर से तैयार करने में अधिक समय लगेगा, जिन्हें भारतीय सेना ने तबाह कर दिया था। ऐसे में एक्यूआईएस का इस्तेमाल इस कमी को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

नवा-गजवातुल हिंद नामक एक मैगजीन शुरू की

सुरक्षा एजेंसियों का अनुमान है कि एक्यूआईएस उतना मजबूत नहीं है, जितना वह दावा करता है, लेकिन विचारधारा के मामले में भारत में इस्लामिक स्टेट, जैश-ए-मोहम्मद या लश्कर-ए-तैयबा की तुलना में इसकी पहुंच कहीं ज्यादा है। उमर के मारे जाने के बाद एक्यूआईएस भारत के और भी ज्यादा खिलाफ हो गया है। इसने नवा-गजवातुल हिंद नामक एक मैगजीन शुरू की।

भारत के लिए अल-कायदा नया नहीं है। इसकी शुरुआत तब हुई, जब डेविड हेडली मुंबई 26/11 हमलों की योजना बनाने से पहले पाकिस्तान में था। उसने अल-कायदा की 313 ब्रिगेड के प्रमुख इलियास कश्मीरी के साथ एक बैठक की थी। इस दौरान दोनों ने गुजरात, मुंबई और उत्तर प्रदेश में आतंकी हमलों की साजिश रची थी। मुंबई हमले के लिए ठिकानों की तलाश करते हुए हेडली ने दिल्ली और पुणे का भी दौरा किया था।

मुंबई 26/11 मामले का एक आरोपी तहव्वुर राणा 

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मुंबई 26/11 मामले का एक आरोपी तहव्वुर राणा है, जिसे हाल ही में भारत प्रत्यर्पित किया गया था। वह हमलों से पहले अहमदाबाद, दिल्ली, कोच्चि, आगरा, हापुड़ और मुंबई का दौरा कर चुका था। जांच टीम को संदेह है कि वह पाकिस्तान में अपने आकाओं के इशारे पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है। राणा की यात्राएं इलियास कश्मीरी के उस बयान की पृष्ठभूमि में थीं, जिसमें उसने कहा था कि वह गजवा-ए-हिंद प्रोजेक्ट को अंजाम देने के लिए केरल, गुजरात और देश के अन्य हिस्सों से लोगों की भर्ती करना चाहता था।

असम पुलिस ने भी एक आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया 

गुजरात में बुधवार को एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ, जबकि असम पुलिस ने भी एक आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था। यह पाया गया कि अल-कायदा के आतंकी पूर्वोत्तर राज्यों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए बांग्लादेशी संगठन, अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के सदस्यों के संपर्क में थे।

बांग्लादेशियों सहित 53 लोगों को गिरफ्तार किया

अल-कायदा की मूल योजना अफगानिस्तान पर ध्यान केंद्रित करने की थी, लेकिन 2020 में इसने एक आश्चर्यजनक मोड़ तब लिया, जब इसने अपनी उर्दू मैगजीन 'नवा-ए-अफगान जिहाद' का नाम बदलकर 'नवा-ए-गजवा-ए-हिंद' कर दिया। भारत में अपनी विस्तार योजनाओं के तहत यह बांग्लादेश से कई अवैध मुस्लिम प्रवासियों को अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहा। यह मामला तब सामने आया, जब एनआईए ने एक्यूआईएस मॉड्यूल का हिस्सा होने के आरोप में बांग्लादेशियों सहित 53 लोगों को गिरफ्तार किया।

बांग्लादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था से बढ़ रहा आतंकवाद

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बांग्लादेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था इस समस्या को और बढ़ा रही है। बांग्लादेश में लगभग सभी टेररिस्ट ग्रुप इस्लामिक स्टेट की तुलना में अल-कायदा की ओर ज्यादा झुकाव रखते हैं। आईएसआई इसका इस्तेमाल भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक्यूआईएस की मदद से आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के अवसर के रूप में कर सकती है।

बांग्लादेश में आईएसआई अल-कायदा को जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम, हिज्ब-उत-तहरीर और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम जैसे अन्य टेररिस्ट ग्रुप के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करती रही है। इससे भी बुरी बात यह है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने इस पर पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं, जिसके परिणामस्वरूप सभी ग्रुप बांग्लादेश में बेरोकटोक घूम रहे हैं। SI Terror Plot | Anti-terrorism | Anti-terrorism stance | Anti-terror operation | Gujarat Terror Threat  ISI Terror Plot 

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