फिरोजपुर, वाईबीएन डेस्क। पंजाब के फिरोजपुर जिले में हुसैनीवाला बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह मंगलवार से फिर शुरू हो गया है। यह समारोह भारत-पाकिस्तान सीमा पर अटारी-वाघा, हुसैनीवाला, और सादकी चौकियों पर आयोजित होता है, जो दोनों देशों के बीच सैन्य अनुशासन और परंपरा का प्रतीक है। यह समारोह 12 दिनों के लिए बंद था, और इसके पुनरारंभ में कुछ बदलाव किए गए हैं, जैसे बीएसएफ और पाकिस्तान रेंजर्स के बीच पारंपरिक हाथ मिलाना और सीमा गेट खोलना बंद कर दिया गया है।
क्यों हुआ था बंद
भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण माहौल के बाद बीटिंग रिट्रीट समारोह को 8 मई 2025 से अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस हमले के जवाब में भारत ने 6-7 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया।
भारत ने मार गिराए थे 100 से अधिक आतंकवादी
सुरक्षा बलों का दावा है कि इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। इस दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके चलते बीएसएफ ने जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए समारोह को बंद कर दिया। इस अवधि में झंडा उतारने की प्रक्रिया जारी रही, लेकिन आम जनता को समारोह देखने की अनुमति नहीं थी।
पुनरारंभ और बदलाव
10 मई 2025 को भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम के बाद सीमा पर तनाव कम हुआ। इसके बाद बीएसएफ ने मंगलावार से समारोह को फिर से शुरू करने का फैसला किया। बीएसएफ के पंजाब फ्रंटियर के इंस्पेक्टर जनरल अतुल फुलजले ने बताया कि समारोह को छोटा और सुरक्षित रखा जाएगा। अब न तो गेट खोले जाएंगे और न ही बीएसएफ और पाक रेंजर्स के बीच हाथ मिलाया जाएगा।
यह समारोह 1959 से दोनों देशों की सीमा पर आयोजित होता रहा है, जो सैन्य अनुशासन के साथ-साथ सांस्कृतिक महत्व रखता है। हुसैनीवाला में यह समारोह मुख्य रूप से स्थानीय दर्शकों को आकर्षित करता है, जबकि अटारी-वाघा में विदेशी पर्यटक भी शामिल होते हैं। बीटिंग रिट्रीट समारोह दोनों देशों के बीच तनाव के बावजूद एक अनूठी परंपरा है, जो सैन्य समन्वय और अनुशासन को दर्शाती है।