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मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर सियासत गरमाई हुई है। नागपुर में हुई हिंसा की खबर ने कब्र हटाने के मामले को और ज्यादा सुर्खियों में ला दिया है। हिंदूवादी संगठन लगातार खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस भी इसका समर्थन कर चुके हैं। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य सरकार औरंगजेब की कब्र हटा सकती है या नहीं? आइए जानते हैं।
खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा संरक्षित इमारत है। 11 दिसंबर, 1951 में गैजेट नोटिफिकेशन के माध्यम से औरंगजेब कब्र को संरक्षित स्मारक घोषित किया गया था और एएसआई इसका संरक्षण कर रहा है। 1958 में इस एक्ट में संशोधन किया गया, जिसके बाद मुगल बादशाह की इस कब्र को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की लिस्ट में शामिल कर दिया गया।
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प्राचीन एवं ऐतिहासिक स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष संरक्षण अधिनियम (AMASR) के सेक्शन-19 के अनुसार, किसी भी संरक्षित इमारत को तोड़ना, हटाना और नुकसान पहुंचाना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर सजा का प्रावधान भी है। ऐसे में जब तक औरंगजेब की कब्र एएसआई की संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है, तब तक राज्य सरकार इसे नहीं हटा सकती है।
खुल्दाबाद स्थित औरंगजेब की कब्र हो हटाने के लिए महाराष्ट्र सरकार को ऑर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) को इस कब्र को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की लिस्ट से हटाने का प्रस्ताव देना होगा। एएसआई के अलावा संस्कृति मंत्रालय भी इसके ऊपर फैसला ले सकता है। लिस्ट से हटने के बाद कब्र को हटाने का काम किया जा सकता है। औरंगजेब की कब्र हटाने में एक और कानूनी पेंच है। दरअसल, ये कब्र 1973 से महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति भी घोषित है। ASI की लिस्ट से हटने के बाद औरंगजेब की कब्र का अधिकार वक्फ के पास आ जाएगा। ऐसे में सरकार को यह साबित करना होगा कि यह संपत्ति वक्फ की नहीं है। इसके बाद ही कब्र को हटाया जा सकता है।
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