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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। दिल्ली आतंकी ब्लास्ट में बड़ा खुलासा छानबीन में एक बड़ा खुलासा हुआ है। डीएनए परीक्षण से पुष्टि हुई है कि दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को हुए विनाशकारी विस्फोट को अंजाम देने वाला व्यक्ति कश्मीर का चिकित्सक डॉ. उमर उन नबी था। विस्फोट में उसका शरीर उड़ गया था। इस विस्फोटमें कम से कम 12 लोग मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए। सूत्रों ने बताया कि पुलवामा जिले में उसके परिवार से लिए गए नमूनों का बाद में कार से बरामद मानव अवशेषों से मिलान किया गया, जिससे पुष्टि हुई कि विस्फोट के समय वह गाड़ी चला रहा था।घटना के करीब 48 घंटे बाद केंद्र सरकार ने भी इस घटना को आतंकी घटना मान लिया है। इसे लेकर कैबिनेट में एक निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया था।
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जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक रसद मॉड्यूल से जुड़ा था उमर
जांचकर्ताओं को शुरू से ही शक था कि हमलावर डॉ. उमर था, जिसने विस्फोट से ठीक 11 दिन पहले हमले में इस्तेमाल की गई सफेद हुंडई i20 कार खरीदी थी। अधिकारी अब उमर को फरीदाबाद, लखनऊ और दक्षिण कश्मीर के बीच सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक रसद मॉड्यूल से जोड़ रहे हैं। कथित तौर पर इस समूह में नौ से दस सदस्य शामिल थे, जिनमें पाँच से छह डॉक्टर भी शामिल थे, जिन्होंने विस्फोटकों के लिए रसायन और सामग्री खरीदने के लिए अपनी चिकित्सा योग्यता का इस्तेमाल किया।
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डॉक्टर का फर्जी पहचान पत्र और कट्टरपंथियों से संबंध
पुलिस का कहना है कि उमर 9 नवंबर से लापता था। इसके एक दिन पहले फरीदाबाद के एक गोदाम से लगभग 2,900 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था। माना जा रहा है कि वह धौज गांव के पास भूमिगत हो गया था, उसने 30 अक्टूबर से पांच फोन बंद कर दिए थे और विश्वविद्यालय की ड्यूटी भी नहीं की थी। इसके बाद से व्यापक जांच में कई अन्य लोग भी शामिल हो गए हैं। इनमें फरीदाबाद से गिरफ्तार की गई पूर्व लेक्चरर डॉ. शाहीन शाहिद भी शामिल हैं, जिनके बारे में जांचकर्ताओं का मानना ​​है कि वे जमात-उल-मोमिनीन के बैनर तले भारत में जैश-ए-मोहम्मद की महिला शाखा की प्रमुख थीं। दो अन्य डॉक्टरों डॉ. मुज़म्मिल अहमद गनई और डॉ. तजामुल अहमद मलिक को भी नेटवर्क में उनकी कथित भूमिकाओं के बारे में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया था।
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मौलवी इरफ़ान का तीनों डाक्टरों से कनेक्शन
पुलिस का कहना है कि मौलवी इरफ़ान की गिरफ़्तारी के बाद, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने तीनों डॉक्टरों को कट्टरपंथी बनाया था, दक्षिण कश्मीर में, जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ताओं के घरों सहित कई स्थानों पर छापे मारे गए हैं। इसी के बाद फरीदाबाद मॉड्यूल का खुलासा हुआ। कहा जा रहा है फरीदाबाद में सक्रियता की सूचना जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहले ही हरियाणा पुलिस को दे दी थी, लेकिन पुलिस ने इस सूचना पर खास ध्यान नहीं दिया। सूत्रों का कहना है कि यदि हरियाणा पुलिस ने समय रहते कोई कारवाई की होती तो दिल्ली विस्फोट को अंजाम देने वाला उमर उन नबी भी गिरफ्त में होता।
बेहद शांत रहने वाला डॉक्टर बना गया कट्टरपंथी
सुरक्षा एजेंसिय़ों को छानबीन में पता चला है कि पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला डॉ. उमरएक शांत, अंतर्मुखी व्यक्ति था, रिश्तेदारों ने बताया कि वह अपने में ही रहता था और घंटों पढ़ता रहता था। पुलिस से परिवार के एक सदस्य ने कहा, "वह बहुत कम बाहर जाता था या लोगों से मिलता-जुलता था।" लेकिन पुलिस सूत्रों का कहना है कि हाल के महीनों में उमर का व्यवहार बदल गया था। वह फरीदाबाद और दिल्ली के बीच अक्सर यात्रा करने लगा था और रामलीला मैदान और सुनहरी मस्जिद के पास की मस्जिदों में जाता था। विस्फोट वाले दिन के सीसीटीवी फुटेज में उसे दोपहर करीब 3 बजे मस्जिद के पास गाड़ी पार्क करते और फिर लाल किले की ओर जाते हुए दिखाया गया है।
घटना से पहले तुर्किये गया था डॉक्टर उमर
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "लाल किले की ओर जाने से पहले वह करीब तीन घंटे वहां रुका।" उमर के नाम पर पंजीकृत एक लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट कार भी फरीदाबाद से बरामद की गई है। पुलिस ने पाया कि उसके दस्तावेजों में दर्ज दिल्ली का पता फर्जी था। जांच के दौरान, यह पाया गया कि मुख्य संदिग्ध डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई - जिन्हें पुलिस ने फरीदाबाद स्थित आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ करने के बाद गिरफ्तार किया था - तुर्किए गए थे, जहां उनके आकाओं के सक्रिय होने का संदेह है।समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि आका कथित तौर पर नबी और तथाकथित "डॉक्टर मॉड्यूल" के अन्य सदस्यों के संपर्क में थे।
पूरे देश में मॉड्यूल को फैलाने का प्लान था
दिल्ली विस्फोट: आतंकी मॉड्यूल के प्रमुख सदस्यों ने गणतंत्र दिवस पर लाल किले को निशाना बनाने की योजना बनाई, तुर्किए गए थे। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि एक "सफेदपोश" आतंकी मॉड्यूल के प्रमुख सदस्यों ने इस साल गणतंत्र दिवस पर लाल किले को निशाना बनाने की योजना बनाई थी, जो राष्ट्रीय राजधानी में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की उनकी बड़ी साजिश का हिस्सा था और उन्होंने स्मारक के आसपास के इलाके की कई बार टोह ली। नबी और गनई के पासपोर्ट से पता चलता है कि उन्होंने कुछ टेलीग्राम समूहों में शामिल होने के तुरंत बाद देश की यात्रा की थी।
मुंबई आतंकवादी हमलों जैसा हमला करने का षडयंत्र था
अधिकारियों ने कहा कि एक आका ने डॉक्टर मॉड्यूल को पूरे भारत में फैलने का निर्देश दिया था, और तुर्की यात्रा के बाद लक्षित स्थानों का चयन किया गया था। जाँच के दौरान, यह सामने आया कि संदिग्धों ने दिवाली के दौरान भीड़-भाड़ वाले इलाकों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन वे हमले को अंजाम देने में नाकाम रहे। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जांचकर्ताओं ने दो टेलीग्राम समूहों के माध्यम से एक "डॉक्टरों के मॉड्यूल" के कट्टरपंथीकरण का पता लगाया है, जिनमें से एक कथित तौर पर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के हैंडलर उमर बिन खत्ताब द्वारा संचालित किया जा रहा था। अधिकारियों का मानना ​​है कि समूह का इरादा 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों जैसा हमला करने का था, इस बीच, दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा से लेकर जम्मू-कश्मीर पुलिस और उत्तर प्रदेश एटीएस तक, कई एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं और फरीदाबाद मॉड्यूल से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही हैं। Delhi terror blast | Delhi Blast Investigation | Delhi Blast | Faridabad module
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