नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य संघर्ष ने दक्षिण एशिया में तनाव को चरम पर पहुंचा दिया। इस दौरान भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिनमें रावलपिंडी का नूर खान एयरबेस प्रमुख लक्ष्य था। यह एयरबेस न केवल पाकिस्तान वायु सेना का महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि यह पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (एनसीए) के मुख्यालय के निकट भी स्थित है, जो देश के लगभग 170 परमाणु हथियारों के नियंत्रण और प्रक्षेपण का जिम्मेदार है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर दावों के अनुसार, भारत के हमले ने पाकिस्तान के परमाणु कमांड सेंटर को तबाह होने से बाल-बाल बचा लिया, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ गई।
नूर खान एयरबेस पर कई विस्फोट हुए
भारत के हमले 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या के जवाब में किए गए, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया। भारतीय वायु सेना ने ब्रह्मोस और अन्य उन्नत मिसाइलों का उपयोग कर नूर खान, मुरिद, रफीकी, और किराना हिल्स जैसे ठिकानों को निशाना बनाया। नूर खान एयरबेस पर कई विस्फोटों की खबरें आईं, और प्रत्यक्षदर्शियों ने मीलों दूर से एक "बड़ा अग्नि गोला" देखा। उपग्रह चित्रों ने भी आधारभूत संरचना को हुए नुकसान की पुष्टि की। इन हमलों की तीव्रता और स्थान ने आशंका पैदा की कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्तान की परमाणु कमान को निशाना बनाने की क्षमता का प्रदर्शन किया, बिना इसे सीधे नष्ट किए। India | caste based census India | india pakistan ceasefire | India Pakistan border news | India Pakistan border
परमाणु हथियारों में व्यापक सुरक्षा उपाय
विशेषज्ञों का कहना है कि परमाणु हथियारों में व्यापक सुरक्षा उपाय होते हैं, जो पारंपरिक हमलों से अनियंत्रित विस्फोट को असंभव बनाते हैं। उदाहरण के लिए, शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ ने कई परमाणु हथियार दुर्घटनाओं में खोए, लेकिन कोई अनियंत्रित विस्फोट नहीं हुआ। यदि नूर खान के पास परमाणु कमांड सेंटर को नुकसान पहुंचा होता, तो रेडियेशन रिसाव की खबरें सामने आतीं, जो अब तक नहीं हुईं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि कोई एनसीए बैठक आयोजित नहीं हुई थी, जिससे स्थिति की गंभीरता को कम करने की कोशिश की गई। यह संकेत देता है कि परमाणु कमांड सेंटर को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
अमेरिकी ऊर्जा विभाग का विमान पाकिस्तान पहुंचा
हमले के बाद अमेरिकी ऊर्जा विभाग का एक विमान पाकिस्तान में देखा गया, जिससे रेडियेशन निगरानी की अटकलें लगीं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत का हमला एक रणनीतिक संदेश था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की परमाणु निरोधक क्षमता को कमजोर दिखाना था, न कि वास्तव में परमाणु सुविधा को नष्ट करना। भारत और पाकिस्तान के बीच 1991 के समझौते के तहत दोनों देश एक-दूसरे की परमाणु सुविधाओं पर हमला नहीं करते और हर साल अपनी परमाणु सुविधाओं की सूची साझा करते हैं। इस समझौते का पालन करते हुए भारत ने दावा किया कि उसने केवल "आतंकवादी बुनियादी ढांचे" को निशाना बनाया, न कि सैन्य या परमाणु सुविधाओं को।
दक्षिण एशिया में परमाणु जोखिम उजागर
11 मई को अमेरिका, सऊदी अरब, और अन्य देशों की मध्यस्थता के बाद दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की। इस घटना ने दक्षिण एशिया में परमाणु जोखिमों को उजागर किया और वैश्विक समुदाय को तनाव कम करने की आवश्यकता पर बल दिया। सोशल मीडिया पर कुछ दावों के बावजूद, कोई ठोस सबूत नहीं मिला कि परमाणु कमांड सेंटर को नुकसान पहुंचा। फिर भी, इस घटना ने दोनों देशों के बीच परमाणु युद्ध के खतरे को रेखांकित किया, खासकर तब जब दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर ड्रोन और मिसाइल हमलों का आरोप लगाया। यह स्थिति वैश्विक शक्तियों के लिए एक चेतावनी है कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए प्रभावी संकट प्रबंधन और कूटनीति अनिवार्य है।