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प्रतीकात्मक तस्वीर। निर्वाचन आयोग
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को SIR के दूसरे फेज का ऐलान कर दिया है। उन्होंने जानकारी दी कि विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision-SIR) के दूसरे चरण के कार्यक्रम को किस तरह से चलाया जाएगा. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत देशभर में करीब 51 करोड़ मतदाताओं के नाम, पते और विवरण का सत्यापन होगा। इस चरण में 12 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल किए जाएंगे।
ये हैं राज्य जिनमें होगा एसआईआर
ये हैं उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप।
कब से कब तक चलेगी प्रक्रिया
निर्वाचन आयोग के अनुसार, एसआईआर की शुरुआत 4 नवंबर से होगी। 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची को प्रकाशित किया जाएगा। इस दौरान कई चरणों में प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक प्रिंटिंग और प्रशिक्षण ​दिया जाएगा। वहीं 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक घर-घर गणना (House-to-House Enumeration) का काम होगा। बाद में 9 दिसंबर 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होगी। 9 दिसंबर से 8 जनवरी 2026 तक दावे के साथ आपत्तियों को दर्ज किया जाएगा। 9 दिसंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक सुनवाई के साथ सत्यापन का दौर होने वाला है।
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एक बार नहीं तीन बार घर जाएंगे BLO
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने जानकारी दी कि इस अभियान में 5.33 लाख बूथ लेवल ऑफिसर (BLOs) और 7.64 लाख राजनीतिक दलों के बूथ एजेंट (BLAs) शामिल होने वाले हैं। BLO हर घर कम से कम तीन बार जाएंगे। इस तरह से नए मतदाताओं को सूची में जोड़ने का काम होगा। इसके साथ पुरानी गलतियों को सुधारा जाएगा। वे घर-घर जाकर Form-6 और Declaration Form को एकत्र करने वाले हैं। नए वोटरों को फॉर्म भरने में मदद करने वाले हैं। बाद में दस्तावेज इलेक्ट्रोरल ऑफिसर( ERO)या असिस्टेंट इलेक्ट्रोरल ऑफिसर( AERO) को सौंपा जाएगा।
प्रक्रिया सुचारू और सुलभ होने वाली है
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि आयोग ने निर्देश दिए कि किसी भी मतदान केंद्र में 1200 से अधिक मतदाता नहीं होने वाले हैं। यह पूरी प्रक्रिया सुचारू और सुलभ होने वाली है। इस दौरान आयोग ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) और जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEOs) को यह निर्देश दिया कि वे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से बैठक कर SIR प्रक्रिया की जानकारी दें। इसके साथ यह तय करें कि बुजुर्गों, दिव्यांगों, बीमारों और कमजोर वर्ग को फॉर्म भरने के साथ सत्यापन में किसी तरह की परेशानी न हो। ऐसे में वॉलंटियर्स की तैनाती होगी।
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आपको कागज नहीं दिखाना होगा
इस बार SIR में आपको कागज नहीं दिखाना होगा। आयोग ने बिहार से सबक लेते हुए Enumeration Form के समय देने वाले कागज की प्रक्रिया को बदल दिया है। आयोग ने कहा कि अब फॉर्म भरने के बाद एक महीने के समय में अगर मतदाता का नाम पुराने और नए मतदाता सूची में नहीं मिलता है, तो ही उससे 12 दस्तावेजों की सूची में से कोई एक दस्तावेज देना होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक़, करीब 60 से 70 प्रतिशत लोगों का नाम पुरानी और नई मतदाता सूची के मैपिंग के समय पहचान कर ली गई है। मतदाता ख़ुद भी अपना नाम चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जाकर नाम चेक कर सकता है। अब कागज सिर्फ उन्हीं लोगों को देना होगा, जिनका नाम और उनके माता-पिता का नाम नए और पुराने मतदाता सूची में नहीं है। ऐसे लोगों को कागज देकर अपना नाम शामिल करवाना होगा।
संविधान क्या कहता है?
मुख्य चुनाव आयुक्त ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला दिया, जिसके तहत भारत का नागरिक होना मतदाता होने के लिए अनिवार्य है। इसका सीधा मतलब है कि यह SIR प्रक्रिया उन सभी नामों को छांटने का काम करेगी जो किसी कारणवश अब मतदान के योग्य नहीं रहे, जैसे वे मतदाता जिनकी मृत्यु हो चुकी है। वे मतदाता जो एक जगह से दूसरी जगह स्थायी रूप से चले गए हैं। वे नाम जो डुप्लीकेट दोहरी प्रविष्टि हो गए हैं। वे नागरिक जो अब भारत के नागरिक नहीं रहे। क्या इसमें आधार कार्ड का इस्तेमाल होगा? आयोग ने क्या कहा?
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