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फरीदाबाद में 780 एकड़ वन भूमि पर बना दिए अवैध फार्म हाउस, स्कूल और सरकारी भवन, सुप्रीम कोर्ट करेगा 8 को सुनवाई

वन क्षेत्र में सरकारी भवनों समेत लगभग 6,800 अवैध निर्माण बना लिए। अरावली पर्व शृंखला क्षेत्र में भी अवैध कब्जों ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की अंतरिम रिपोर्ट में हुआ है। 

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Mukesh Pandit
Illegal construction Demolish
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भूमाफिया, बिल्डरों और स्थानीय लोगों ने मिलकर हरियाणा के फरीदाबाद में 780 एकड़ वन भूमि पर फार्महाउस, स्कूल और सरकारी भवनों समेत लगभग 6,800 अवैध निर्माण बना लिए। जंगलों खासतौर पर अरावली पर्व शृंखला क्षेत्र में भी अवैध कब्जों ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह खुलासा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC)की अंतरिम रिपोर्ट में हुआ है।  इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आठ सितंबर को सुनवाई होगी। 

वन क्षेत्र में किसी तरह का निर्माण नहीं हो सकता

समिति ने 29 अगस्त की सुप्रीम कोर्ट को दी अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा कि यह वन भूमि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए), 1900 के अंतर्गत अधिसूचित है और यह अनखीर, अनंगपुर, लक्कड़पुर और मेवला महाराजपुर गांवों में फैली हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1980 के कानून के तहत इस भूमि में वन भूमि की सभी विशेषताएं मौजूद हैं, इसलिए 25 अक्टूबर 1980 से केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना इसका उपयोग गैर-वनीय उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता। 

ध्वस्तीकरण की कारवाई के बावजूद अवैध निर्माण

समिति (CEC) ने शीर्ष अदालत को बताया है कि फार्महाउस, मैरिज गार्डन, बैंक्वेट हॉल और इस तरह के अन्य निर्माण’ अवैध रूप से किए गए हैं और शीर्ष अदालत के 21 जुलाई, 2022 के निर्देशों के अनुपालन में जिला अधिकारियों द्वारा 261.06 एकड़ क्षेत्र में फैले 88 स्थानों पर स्थित 241 संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया गया है। समिति का कहना है कि कार्रवाई के बावजूद बड़े पैमाने पर उल्लंघन जारी है।

 रिपोर्ट में कहा गया है, फरीदाबाद में अधिसूचित भूमि पर 780.26 एकड़ क्षेत्र में निर्माण किया गया है। ये निर्माण वन अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है। अकेले अनंगपुर में 286 एकड़ में 5,948 अवैध निर्माण हैं, अनखीर में लगभग 250 एकड़ में 339, लक्कड़पुर में लगभग 197 एकड़ में 313 और मेवला महाराजपुर में 46 एकड़ में 193 निर्माण हैं। 

बड़े पैमाने पर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स ध्वस्त किए

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सीईसी ने कहा कि बड़े वाणिज्यिक ढांचों के ध्वस्त होने से वन क्षेत्रों में गतिविधि में काफी कमी आई है और वनस्पति में स्पष्ट सुधार हुआ है। इसने कहा कि वन विभाग ने बताया कि इस भूभाग में चित्तीदार हिरणों की उपस्थिति पहली बार दर्ज की गई है। इसने कहा कि लेकिन इस ध्वस्तीकरण अभियान से निवासियों में, विशेषकर गांव के आबादी क्षेत्रों में, गुस्सा भी भड़क गया है। सीईसी ने कहा, ग्रामीणों में, विशेषकर अनंगपुर गांव के आबादी क्षेत्रों में, काफी नाराजगी देखी गई, जिन्होंने अपने घरों की सुरक्षा के संबंध में चिंता व्यक्त की। 

अनंगपुर में 5, 938 घर अवैध

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 5,938 घरेलू इकाइयां, जिनमें से ज्यादातर अनंगपुर में हैं, पीएलपीए-अधिसूचित भूमि के अंतर्गत आती हैं। सीईसी ने पाया कि ग्रामीणों को अपने घर खोने का डर है और वे इस अभियान का विरोध कर रहे हैं। सीईसी ने सरकारी विभागों द्वारा किए गए उल्लंघनों को भी चिह्नित किया और कहा कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा पर्यटन, पुलिस विभाग और नगर निगम जैसी सरकारी एजेंसियों से संबंधित कुछ संरचनाओं का निर्माण पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम, 1900 की धाराओं 4 और 5 के तहत अधिसूचित भूमि पर किया गया है, जो वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन है। 

बिजली लाइनें काटने का सुझाव

समिति ने कहा कि पुनः अतिक्रमण को रोकने के लिए भी कदम उठाए जाने चाहिए, जिसमें ध्वस्त की गई संरचनाओं के लिए स्थापित बिजली लाइन को तत्काल हटाना और ऐसी भूमि पर खोदे गये बोरवेल शामिल हैं। सीईसी ने अरावली क्षेत्र के बाहर प्रतिपूरक वनरोपण भूमि की पेशकश करने वाली एजेंसियों पर भी आपत्ति जताई। Faridabad forest land case 

Faridabad forest land case
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