नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
Delhi High Court के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी की कथित बरामदगी के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटनाक्रम ने न्यायपालिका में हलचल पैदा कर दी है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने उनके इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू करन का आह्वान किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी का कहना है कि अधिवक्ता न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरण के खिलाफ हैं। साथ ही हम एक प्रस्ताव लखनऊ बार एसोसिएशन को भेज रहे हैं। अनिल तिवारी ने जस्टिस वर्मा के विरूद्ध जांच के साथ कार्रवाई की मांग उठाई है।
आज यानि मंगवार 25 मार्च की सुबह से इलाहाबाद हाईकोर्ट के गेट नंबर 3 पर वकील जमा होने लगे और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। वकीलों की मांग है कि जस्टिस वर्मा का तबादला तुरंत रोका जाए।
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिप विक्रांत पाण्डेय बोले...
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव विक्रांत पांडेय ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तक उनकी डिमांड पूरी नहीं हो जाती। उनका आरोप है कि एक ऐसे जज को, जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, इलाहाबाद भेजकर सम्मानित किया जा रहा है।
विक्रांत पांडेय ने कहा, "यह संदेश दिया जा रहा है कि दिल्ली ज्यादा साफ-सुथरी जगह है, और वहां ऐसे लोग नहीं रह सकते, लेकिन इलाहाबाद में इसे स्वीकार कर लिया गया। यह हमें बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है। अगर न्यायपालिका की शुद्धता पर कोई दाग लगेगा, तो हम इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं करेंगे।"
वहीं, एक अन्य अधिवक्ता दिनेश यादव ने कहा कि इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने यह भी कहा, "इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई प्रयोगशाला नहीं है, जहां किसी के साथ प्रयोग किया जाए। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहां के लोग न्याय व्यवस्था से उच्च उम्मीदें रखते हैं। हम यह नहीं होने देंगे कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को इस तरह के फैसलों का गवाह बने।"
उन्होंने कहा कि वकीलों के विरोध का यह मुद्दा केवल एक जज के तबादले तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और स्वच्छता पर उठते सवालों को भी लेकर है। इस कदम से न्यायपालिका की छवि खराब होती है।
आइए जानते हैं कि इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ ?...
मामला कब शुरू हुआ ?
- यह मामला तब सामने आया जब न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर आग लगी। आग बुझाने के दौरान, अग्निशमन दल ने बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की, जिससे सनसनी फैल गई।
- न्यायमूर्ति वर्मा पर पहले भी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, लेकिन नकदी बरामदगी का मामला सबसे गंभीर है। इस घटना ने उनकी निष्पक्षता और न्यायिक विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच की स्थिति
supreme court के कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण के अपने निर्णय की पुष्टि की है। इसके साथ ही, उनके खिलाफ जांच भी चल रही है। जांच में सीबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियां शामिल हैं, जो नकदी के स्रोत और संभावित अनियमितताओं की जांच कर रही हैं।
वर्तमान नकदी विवाद पर अब तक क्या हुआ ?
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति वर्मा के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण का कड़ा विरोध किया है।
- एसोसिएशन ने प्रधान न्यायाधीश से सरकार को न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने की सिफारिश करने की मांग की है।
- बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और सीबीआई, ईडी और अन्य जांच एजेंसियों द्वारा जांच की तत्काल अनुमति देने की मांग की है।
- एसोसिएशन ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वर्मा द्वारा दिए गए सभी निर्णयों की समीक्षा की भी मांग की है।
- सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें सीजेआई की इन-हाउस जांच को चुनौती दी गई है।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि न्यायमूर्ति वर्मा पर ये कार्रवाई सिर्फ ट्रांसफर तक सीमित नहीं रहेगी।
- न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ तीन जजों की कमेटी बनायी गयी है।
- बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच को खारिज करते हुए मांग की है कि अगर जरूरत पड़े तो सीजेआई की अनुमति से जस्टिस यशवंत वर्मा को कस्टडी में लिया जाए।
बार एसोसिएशन की मांगें
बार एसोसिएशन ने न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग की है। उन्होंने यह भी मांग की है कि यदि न्यायमूर्ति वर्मा दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
न्यायपालिका की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह न्यायिक प्रणाली की शुचिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
जनता की प्रतिक्रिया
इस घटना ने जनता के बीच भी आक्रोश पैदा किया है। लोग न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।
आगे क्या होगा ?
न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ जांच जारी है। जांच के निष्कर्षों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी। इस मामले का न्यायपालिका की छवि पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
यह घटना न्यायिक प्रणाली की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करती है। इस मामले में आगे की जांच और कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।