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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। पहलगाम की घटना के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय 'संक्षिप्त युद्ध' के दौरान भारतीय सेनाओं ने जिस तरह नूर खान एयरबेस और किराना हिल्स को मिसाइस अटैक से तबाह और बर्बाद किया, उसके बाद ही पाकिस्तान की बची-खुची हेकड़ी भी निकल गई। ऱक्षा क्षेत्र से जुड़े जानकारों का मानना है कि भारतीय वायुसेना ने हमले किए, जिससे उनकी परमाणु हमला करने की क्षमता को क्षति पहुंची। मीडिया, खासतौर पर पश्चिमी मीडिया के कुछ दावों में यह भी कहा गया कि इन हमलों की वजह से ही भूकंपीय गतिविधियां (4.2-5.7 तीव्रता) दर्ज की गईं, जिन्हें भूमिगत परमाणु विस्फोटों से जोड़ा जा रहा है।
भारत ने बनाया था पाकिस्तान के एयरबेस का निशाना
पश्चिमी मीडिया और विशेषज्ञ सामान्य सैन्य ठिकानों, जैसे एयरबेस और रडार सिस्टम, पर हमलों की बात करते हैं, लेकिन सीधे तौर पर पाकिस्तान के परमाणु केंद्र पर हमले की पुष्टि से फिलहाल बचते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा, अमेरिका और जी7 देशों ने भारत-पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की, जो परमाणु ठिकानों पर हमले की अनुपस्थिति का संकेत देता है। भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान के स्कर्दू, जैकबाबाद, सरगोधा, और भुलारी जैसे एयरबेस, रडार सिस्टम, और हथियार डिपो को निशाना बनाया। पाकिस्तान के HQ9 एयर डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त करने की खबरें हैं।
परमाणु ठिकानों पर अस्पष्टता
परमाणु केंद्रों पर सीधे हमले की कोई पुष्ट जानकारी नहीं है। कुछ भारतीय स्रोत दावा करते हैं कि सरगोधा के पास परमाणु बंकरों को निशाना बनाया गया, लेकिन फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं हुई। हालांकि पाकिस्तान ने इन हमलों को 'युद्ध की कार्रवाई' करार दिया था और जवाबी हमले भी किए, लेकिन साथ ही उसके दावों के अनुसार भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश भारतीय मिसाइलों को रोक लिया। हालांकि परमाणु केंद्रों को नुकसान के दावे अपुष्ट प्रतीत होते हैं। भारतीय हमलों ने पाकिस्तान की सैन्य क्षमता, विशेष रूप से एयर डिफेंस और आतंकी शिविरों, को नुकसान पहुंचाया, लेकिन परमाणु ठिकानों पर सीधा हमला वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता का विषय होता, जिसका कोई ठोस सबूत फिलहाल सामने नहीं आया है।
भारत की परमाणु नीति
नो फर्स्ट यूज (NFU):भारत ने 1999 में पोखरण-II परमाणु परीक्षणों के बाद 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति अपनाई। इसका मतलब है कि भारत कभी भी पहले परमाणु हमला शुरू नहीं करेगा, लेकिन अगर उस पर परमाणु हमला होता है, तो वह पूर्ण शक्ति के साथ जवाबी हमला करेगा। साथ ही भारत की रणनीति 'न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोध' पर आधारित है, जिसका लक्ष्य दुश्मन को परमाणु हमले से रोकना है, न कि आक्रामक युद्ध शुरू करना। भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है, जो न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, हवा, और समुद्र से परमाणु हमला करने की क्षमता) रखते हैं। इसमें अग्नि और पृथ्वी मिसाइलें, फाइटर जेट्स, और INSअरिहंत जैसे परमाणु पनडुब्बी शामिल हैं।
परमाणु हथियारों की संख्या
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2024 तक भारत के पास 172 परमाणु हथियार हैं, जो 2023 के 164 से बढ़े हैं। भारत की नीति रक्षात्मक है, जो मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन की परमाणु क्षमताओं को संतुलित करने पर केंद्रित है। भारत ने गैर-परमाणु हथियार संपन्न देशों के खिलाफ परमाणु हथियार न इस्तेमाल करने का वादा भी किया है। india pakistan | India Pakistan border news | india pakistan ceasefire | DGMO India Pakistan | india pakistan ceasefire news
पाकिस्तान की परमाणु नीति
फर्स्ट यूज डॉक्ट्रिन: पाकिस्तान ने 'पहले इस्तेमाल' की नीति अपनाई है, जिसका मतलब है कि अगर उसे लगता है कि उसकी संप्रभुता या सैन्य क्षमता को गंभीर खतरा है, तो वह पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है। यह नीति भारत की 'कोल्ड स्टार्ट' रणनीति (सीमित और त्वरित सैन्य कार्रवाई) को रोकने के लिए बनाई गई है। पाकिस्तान ने छोटे, युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले सामरिक परमाणु हथियारों (जैसे नस्र मिसाइल) पर जोर दिया है, जिन्हें सीमित क्षेत्र में दुश्मन के सैन्य ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
परमाणु हथियारों की संख्या:
SIPRI के अनुसार, पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं, हालांकि कुछ विश्लेषक 200 तक का अनुमान लगाते हैं। पाकिस्तान की परमाणु नीति भारत की पारंपरिक सैन्य श्रेष्ठता को संतुलित करने और युद्ध को परमाणु स्तर तक बढ़ने से रोकने पर केंद्रित है। इसके लिए वह कम दूरी (नस्र, गजनवी) और मध्यम दूरी (गौरी, शाहीन) की मिसाइलों पर निर्भर है। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और न्यूक्लियर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (NCCS) के पास है, लेकिन सेना का प्रभाव प्रमुख माना जाता है। भारत के पास पाकिस्तान से थोड़े अधिक परमाणु हथियार (172 बनाम 170) और अधिक उन्नत मिसाइल प्रणालियां (जैसे अग्नि-V, 5000+ किमी रेंज) हैं। भारत की न्यूक्लियर ट्रायड क्षमता इसे रणनीतिक लाभ देती है।
भारत की NFUनीति रक्षात्मक
भारत की NFU नीति रक्षात्मक है, जबकि पाकिस्तान की फर्स्ट यूज नीति आक्रामक और प्रतिक्रियात्मक है। यह अंतर दोनों देशों के बीच तनाव को और जटिल बनाता है। पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंताएं हैं, विशेष रूप से आतंकी संगठनों द्वारा हथियारों के दुरुपयोग की आशंका। अमेरिका की 'स्नैच एंड ग्रैब' रणनीति इसी खतरे को ध्यान में रखकर बनाई गई है। पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तानी मंत्रियों (ख्वाजा आसिफ, हनीफ अब्बासी) ने परमाणु हथियारों की धमकी दी, लेकिन बाद में रक्षा मंत्री ने कहा कि परमाणु विकल्प पर अभी विचार नहीं हो रहा। रणनीति की बात करें तो, भारत की NFU और न्यूक्लियर ट्रायड पर आधारित नीति रक्षात्मक और संतुलित है, जबकि पाकिस्तान की फर्स्ट यूज और TNWs पर आधारित नीति भारत की पारंपरिक सैन्य ताकत को रोकने पर केंद्रित है। दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की मौजूदगी तनाव को खतरनाक बनाती है, और विशेषज्ञों का मानना है कि परमाणु युद्ध का परिणाम केवल दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहेगा।