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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस बाघों के संरक्षण के लिए वैश्विक जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। भारत ने प्रोजेक्ट टाइगर और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अवैध शिकार, आवास हानि और मानव-वन्यजीव संघर्ष जैसी चुनौतियां बरकरार हैं। सामूहिक प्रयासों, सख्त नीतियों और स्थानीय समुदायों के सहयोग से बाघों को विलुप्त होने से बचाया जा सकता है, जिससे जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बना रहे। अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस, प्रत्येक वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाता है।
बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा
इसकी शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में हुई, जहां बाघों की घटती आबादी और उनके संरक्षण की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस दिन का मुख्य उद्देश्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा, अवैध शिकार को रोकना और जन जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन बाघों की लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने और उनके महत्व को उजागर करने के लिए वैश्विक स्तर पर समारोहों, कार्यशालाओं और जागरूकता अभियानों के माध्यम से मनाया जाता है। बाघों की आबादी, उनके स्वास्थ्य और आवास की स्थिति पर नियमित निगरानी के लिए ड्रोन, कैमरा ट्रैप और जीपीएस जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
प्राकृतिक आवासों का संरक्षण
बाघों के जंगलों, घास के मैदानों और दलदली क्षेत्रों को संरक्षित करना आवश्यक है। वनों की कटाई और मानव अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त कानून और उनकी प्रभावी निगरानी जरूरी है। प्रोजेक्ट टाइगर (1973 में शुरू) के तहत भारत में 55 बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए हैं, जो बाघों के लिए सुरक्षित आवास प्रदान करते हैं। अवैध शिकार बाघों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसके लिए कठोर दंड, वन्यजीव व्यापार पर निगरानी और सीमा पार तस्करी को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग जरूरी है।
भारत में बाघों की संख्या
भारत दुनिया में बाघों की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, जो वैश्विक बाघ आबादी का लगभग 70% हिस्सा रखता है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अनुसार, 2022 की गणना में भारत में बाघों की संख्या औसतन 3,682 अनुमानित है, जिसमें अधिकतम सीमा 3,925 तक हो सकती है। यह संख्या 2018 में 2,967 से बढ़ी है, जो 2014 के 2,226 से 33% की वृद्धि दर्शाती है। मध्य प्रदेश, जिसे "टाइगर स्टेट" कहा जाता है, में 526 बाघ हैं, जो देश में सर्वाधिक है।
बाघों के संरक्षण के लिए आवश्यक उपाय
ग्रामीण क्षेत्रों में बाघों और मनुष्यों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए स्थानीय समुदायों को शिक्षित करना और वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना महत्वपूर्ण है। बफर जोन और कॉरिडोर बनाकर बाघों को मानव बस्तियों से दूर रखा जा सकता है। स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। सोशल मीडिया के माध्यम से हैशटैग और अभियानों के जरिए बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को प्रेरित किया जा सकता है।
23 अभयारण्यों को CA|TS मान्यता प्राप्त
कंजर्वेशन एश्योर्ड टाइगर स्टैंडर्ड्स जैसे मानदंडों का पालन और पड़ोसी देशों (नेपाल, भूटान, बांग्लादेश) के साथ सहयोग से सीमा पार संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। भारत के 23 अभयारण्यों को CA|TS मान्यता प्राप्त है। जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से सुंदरबन जैसे क्षेत्रों में, बाघों के आवासों को प्रभावित करता है। कार्बन कैप्चर और पर्यावरणीय स्थिरता के प्रयासों को बढ़ावा देना जरूरी है। International Tiger Day 2025 | Tiger Conservation India | Save Tigers Campaign | Save Tigers Movement