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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (IANS)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।छोटे-छोटे मामलों को लेकर अब कारोबारियों को जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना पड़ेगा, केंद्र की भाजपा सरकार ने सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक पेश किया। खास बात यह है कि यह विधेयक कानून बन जाने के बाद जीवन को सुगम बनाने और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में कारगर सिद्ध होगा, ऐसा सरकार का मानना है, क्योंकि विभिन्न कानूनों के तहत छोटे-मोटे अपराधों से संबंधित 288 प्रावधानों को यह विधेय़क अपराधमुक्त बनाता है।
सेंटर सिल्क बोर्ड अधिनियम 1948 के तहत, विधेयक में किसी भी प्रकार का झूठा बयान देने पर कारावास की सजा को समाप्त करने का प्रस्ताव है। बोर्ड के किसी भी अधिकारी को किसी भी शक्ति के प्रयोग में बाधा डालने पर कारावास (एक वर्ष तक) और जुर्माना (1,000 रुपये तक) को समाप्त करने का प्रस्ताव है।
विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा मिलेगा
यह दूसरा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक है। इससे पहले 2023 में सरकार ने 19 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों के 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त करते हुए एक ऐसा ही कानून बनाया था। विधेयक 2025 पेश करते हुए, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इसका उद्देश्य कारोबार को सुगम बनाने के लिए विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देना है।
सेलेक्शन कमेटी के पास भेजा विधायक
विधेयक को जांच के लिए लोकसभा की सेलेक्शन कमेटी के पास भेज दिया गया है। समिति को संसद के अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। यह विधेयक विपक्षी दलों के हंगामे के बीच पेश किया गया, जिन्होंने बिहार में मतदाता सूची संशोधन और अन्य मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
क्या है अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव
इस विधेयक में मोटर वाहन अधिनियम 1988, नई दिल्ली नगर परिषद अधिनियम 1994 (NDMC एक्ट ) और सड़क परिवहन निगम अधिनियम 1950 सहित कई कानूनों से संबंधित मानदंडों को अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव है। टी एक्ट 1953, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009, मोटर वाहन अधिनियम 1988 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 - जन विश्वास अधिनियम, 2023 का हिस्सा थे और वर्तमान विधेयक के तहत इन्हें और अधिक अपराधमुक्त करने का प्रस्ताव है।
इस विधेयक में मोटर वाहन अधिनियम में छूट और स्पष्टता प्रदान करने का प्रस्ताव है, जिसमें क्षेत्राधिकार-विशिष्ट के बजाय राज्य-व्यापी वाहन पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण, और क्लेम ट्रिब्यूनल इम्पावर्ड करने में 12 महीने तक की देरी को माफ करने का अधिकार शामिल है।
355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव
इस विधेयक के माध्यम से कुल 355 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है। इसमें व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए 288 प्रावधानों को अपराधमुक्त करना और जीवन को सुगम बनाने के लिए 67 अन्य प्रावधान शामिल हैं।
कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने का प्रयास
पीयूष गोयल ने दावा किया कि यह विधेयक देश के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है। 2025 का विधेयक इस सुधार एजेंडे का विस्तार करते हुए 10 मंत्रालयों और विभागों द्वारा प्रशासित 16 केंद्रीय अधिनियमों को भी इसमें शामिल करता है। विधेयक के अनुसार, 10 कानूनों के तहत पहली बार उल्लंघन करने वालों को 76 अपराधों के लिए सलाह या चेतावनी दी जाएगी।
आर्थिक दंड या चेतावनी देने का प्रस्ताव
इसमें मामूली तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिए कारावास की जगह आर्थिक दंड या चेतावनी देने का भी प्रस्ताव है। बार-बार अपराध करने पर दंड को आनुपातिक बनाने और क्रमिक दंड देने का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा, 2025 के विधेयक में दंडों को रेशनलाइज बनाने और जुर्माने के साथ दंड में संशोधन का प्रस्ताव है। विधेयक के तहत, नामित अधिकारियों को प्रशासनिक प्रक्रियाओं के माध्यम से दंड लगाने का अधिकार दिया जाएगा, जिससे न्यायिक बोझ कम होगाा।साथ ही NDMC कानून में विधेयक प्रोपर्टी टैक्स की दर योग्य रेटेबल वैल्यू यूनिट एरिया मैथड से बदलने का प्रस्ताव करता है, जिससे संपत्ति के आकार, उपयोग और स्थान से जुड़ी एक पारदर्शी और सूत्र-आधारित प्रणाली शुरू होती है।
ओवरटाइम काम करवाने के अपराध के लिए बस चेतावनी
इसके अलावा अप्रेंटिस एक्ट 1961 के तहत, अप्रेंटिसशिप एडवाइजर की अनुमति के बिना ओवरटाइम काम करवाने जैसे अपराधों के लिए जुर्माने के बजाय चेतावनी का प्रावधान होगा। वर्तमान में ऐसे अपराधों के लिए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। Jan Vishwas Bill 2025 | business law India | business news | Business Inspiration | business update | DairyBusiness not present