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Judge Cash Scandal: यशवंत वर्मा का दावा, जले हुए नोटों से मेरा कोई वास्ता नहीं

जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों से साफ इनकार करते हुए दावा किया है कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कोई नकदी नहीं रखी गई। 

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Mukesh Pandit
cash in yasvant verma

Photograph: (File)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

Judge Cash Scandal: दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला गंभीर होता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर वीडियो अपलोड होने के बाद अब आम लोगों को नोटों की गड्डियों का सच्चाई का पता लग गया है। इस बीच जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों से साफ इनकार करते हुए दावा किया है कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कोई नकदी नहीं रखी गई। उन्हें बदनाम करने की साजिश हो रही है। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश ने नकदी मिलने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा से उनके ऊपर लगे आरोपों पर जवाब मांगा था। हालांकि मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच चल रही है।

स्टोर रूम में मेरी पहुंच नहीं, बोले जज

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को भेजे पत्र में जज वर्मा ने लिखा कि 'मेरे या मेरे परिवार के किसी सदस्य को स्टोर रूम में मिली नकदी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही मेरे या मेरे परिवार को ये नकदी दिखाई गई।' जस्टिस वर्मा ने घटना को याद करते हुए बताया कि '14-15 मार्च की रात उनके सरकारी आवास के स्टोर रूम में आग लगी। यह स्टोर रूम उनके स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित है। स्टोर रूम को आमतौर पर इस्तेमाल न होने वाले फर्नीचर, बोतल, क्रॉकरी, इस्तेमाल किए हुए कारपेट आदि रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही उस स्टोर रूम में सीपीडब्लूडी का सामान भी रखा रहता है। स्टोर रूम में कोई ताला नहीं है और वहां कई अधिकारी आते जाते रहते हैं। इस स्टोर रूम में सामने के दरवाजे से और पीछे के दरवाजे से भी आया जा सकता है। यह मेरे आवास से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ नहीं है और यह मेरे घर का हिस्सा नहीं है।'

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मैं तो घटना के दिन मप्र में था...

जस्टिस वर्मा ने बताया कि 'जिस दिन आग लगने की घटना हुई, उस दिन वे अपनी पत्नी के साथ मध्य प्रदेश में थे। उस वक्त घर पर सिर्फ मेरी बेटी और मेरी बुजुर्ग मां ही घर पर थीं। मैं 15 मार्च की शाम को भोपाल से दिल्ली लौटा। जब आग लगी तो मेरी बेटी और मेरे निजी सचिव ने फायर ब्रिगेड को फोन किया। आग बुझाने के दौरान मेरे सारे स्टाफ और मेरे घर के सदस्यों को आग वाली जगह से हटा दिया गया था। जब आग बुझ गई और जब ये लोग वहां पहुंचे तो मौके पर कोई नकदी नहीं थी। मैं फिर एक बार साफ कर दूं कि न तो मेरे द्वारा या मेरे परिवार के द्वारा कोई नकदी स्टोर रूम में रखी गई थी और न ही कथित तौर पर मिली नकदी से हमारा कोई संबंध है। ये पैसा हमारे द्वारा रखे जाने का दावा पूरी तरह से हास्यास्पद है।' उन्होंने कहा कि एक ऐसी जगह पर नकदी रखने का विचार ही बेतुका है, जहां सब लोग आ जा सकते हैं।

14 मार्च को लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में लगी थी आग

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बता दें, 14 मार्च की रात वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने के बाद दमकल कर्मियों को नकदी मिली थी। घटना के समय वर्मा घर पर नहीं थे। मुख्य न्यायाधीश ने आंतरिक जांच कर साक्ष्य और जानकारी जुटाई। अब सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम रिपोर्ट की जांच करेगा, जिसके बाद वर्मा के खिलाफ आगे की कार्रवाई पर निर्णय लिया जाएगा।

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