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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (File)
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वह राज्य में कांवड़ यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए बनाए जा रहे मार्ग पर पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की एक अधिकारी के आरोप का सत्यापन कर कार्रवाई करें। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 28 फरवरी के आदेश में कहा कि अधिकरण ने एफएसआई की संयुक्त निदेशक मीरा अय्यर को जनवरी में अलग से जवाब दाखिल करने की अनुमति दी थी।
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20 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले पेड़ों की कटाई हुई
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ‘मीरा अय्यर ने 20 फरवरी को एक अलग जवाब दाखिल कर कहा कि एफएसआई ने कई स्थानों को चिह्नित किया है जहां 20 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले पेड़ों की कटाई हुई है। उन्होंने तस्वीरें भी संलग्न की हैं जिनसे 2022 में उस क्षेत्र की स्थिति का पता चलता है तथा मई 2024 की उपग्रह छवि से पता चलता है कि 20 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले पेड़ काटे गए हैं।’
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पेड़-पौधों की अवैध कटाई का मामला
इससे पहले, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पहले चरण की मंजूरी में केवल 15-20 मीटर के पेड़ों को काटने की अनुमति प्रदान की गई थी। एनजीटी ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वे ‘एक सक्षम अधिकारी के माध्यम से निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करें।’मामले की अगली सुनवाई सात अप्रैल को तय की गई है।
एनजीटी गाजियाबाद जिले के मुरादनगर और उत्तराखंड सीमा के पास मुजफ्फरनगर जिले के पुरकाजी के बीच प्रस्तावित 111 किलोमीटर लंबे मार्ग के लिए गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर के तीन वन प्रभागों के संरक्षित वन क्षेत्र में एक लाख से अधिक पेड़-पौधों की कथित कटाई से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी।
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