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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। माउंट एवरेस्ट के ऊपरी भाग में बर्फ का आवरण 150 मीटर तक कम हो गया है, जो 2024-2025 में सर्दियों के मौसम के दौरान जमी बर्फ में कमी का संकेत है। शोधकर्ताओं के विश्लेषण के बाद यह जानकारी सामने आई है।
सबसे ऊंचा पर्वत शिखर 'माउंट एवरेस्ट'
‘माउंट एवरेस्ट’ दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत शिखर है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से 8,849 मीटर ऊपर मापी गई है। यह धरती पर सबसे ऊंचा स्थान है। हिमालय की चोटी नेपाल और तिब्बत के बीच स्थित है। ‘हिम रेखा’ उस सीमा या ऊंचाई को दर्शाती है जिस पर बर्फ स्थायी रूप से पहाड़ पर बनी रहती है। बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया कम ऊंचाई वाले पहाड़ों पर होती है, लेकिन जब पहाड़ की ऊपरी ढलान पर बर्फ पिघलने लगती है तो यह गर्म जलवायु का संकेत होता है।
हिम रेखा में हुई वृद्धि
अमेरिका के निकोल्स कॉलेज में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर और ग्लेशियर का अध्ययन करने वाले ‘ग्लेशियोलॉजिस्ट’ मौरी पेल्टो ने दो फरवरी को एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, ‘‘अक्टूबर 2023 से जनवरी 2025 की शुरुआत तक अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ‘नासा’ (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के उपग्रह चित्रों का विश्लेषण करने पर पता चला कि 2024 और 2025 दोनों में जनवरी तक ‘हिम रेखा’ में वृद्धि की संभावना है।’’
ग्लेशियरों का पिघलना जारी
पेल्टो ने कहा कि हाल की सर्दियों में गर्म और शुष्क परिस्थितियां बनी हुई हैं। इनमें 2021, 2023, 2024 और 2025 की सर्दियां भी शामिल हैं, जिसके कारण बर्फ का आवरण कम हो रहा है, हिम रेखाएं ऊंची हो रही हैं और जंगल की आग की घटनाएं बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में हर शीत ऋतु के आरंभ में थोड़ी बहुत बर्फबारी होती है, लेकिन बर्फ का आवरण अधिक समय तक नहीं बना रहता, जिससे पता चलता है कि माउंट एवरेस्ट पर 6000 मीटर से ऊपर भी ग्लेशियरों का पिघलना जारी है।
प्रतिदिन 2.5 मिलीमीटर बर्फ का नुकसान
पेल्टो ने कहा कि सर्दियों के दौरान इतनी ऊंचाइयों पर बर्फ के आवरण का कम होना मुख्य रूप से ‘ऊर्ध्वपातन’ का परिणाम है, जिसमें बर्फ सीधे सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जाती है। इसके कारण प्रतिदिन 2.5 मिलीमीटर बर्फ तक का नुकसान देखा जाता है। दिसंबर 2024 में नेपाल में सामान्य से 20-25 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, जबकि पूर्व में शुष्क परिस्थितियां बनी रहीं, साथ ही औसत से अधिक तापमान भी रहा। ‘ग्लेशियोलॉजिस्ट’ ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप कोशी प्रांत सहित कई प्रांतों में भयंकर सूखा पड़ा। उन्होंने पाया कि जनवरी 2025 में लगातार गर्म परिस्थितियां बनी रहीं, जिससे दिसंबर की शुरुआत से फरवरी 2025 की शुरुआत तक ऊंची हिम रेखाएं बनीं और यह और ऊपर उठती रहीं।
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