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रेल हादसे की दस्तक? Raipur स्टेशन पर डिरेल हुई मालगाड़ी, मची अफरा-तफरी

रायपुर रेलवे स्टेशन पर लोहे से लदी मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतरे। कोई हताहत नहीं, लेकिन हादसा बड़ा हो सकता था। जांच जारी, रेलवे ने एक घंटे में संचालन बहाल करने का दावा किया।

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Ajit Kumar Pandey
RAIPUR RAIL DERAILED NEWS
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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । रायपुर रेलवे स्टेशन पर आज सुबह एक लोहे से लदी मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब ट्रेन बेहद धीमी रफ्तार से चल रही थी। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन इस घटना ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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सुबह-सुबह की आवाज और फिर अफरा-तफरी

बुधवार सुबह लगभग 7:45 बजे रायपुर रेलवे स्टेशन पर एक लोह अयस्क (Iron Ore) से लदी मालगाड़ी के दो डिब्बे अचानक पटरी से उतर गए। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ट्रेन उस वक्त केवल 10 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रही थी। इस धीमी गति के कारण एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया।

रेलवे प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए 200 कर्मचारियों की टीम मौके पर भेजी, जिन्होंने समय रहते हालात काबू में कर लिए। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक अवधेश त्रिवेदी ने जानकारी दी कि सभी डिब्बों को आपस में जोड़ दिया गया है और रेल संचालन को जल्द ही फिर से शुरू किया जा रहा है।

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रेलवे की तैयारियों की असली परीक्षा

यह घटना बताती है कि भले ही ट्रेन की रफ्तार कम हो, लेकिन अगर तकनीकी जांच और ट्रैक की देखरेख में लापरवाही हो तो हादसे कभी भी हो सकते हैं। मालगाड़ी के पटरी से उतरने की वजह जानने के लिए जांच टीम गठित कर दी गई है।

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रेलवे अधिकारियों के अनुसार, "जांच के बाद ही तकनीकी कारणों की पुष्टि हो पाएगी। फिलहाल हमारी प्राथमिकता थी कि रेल यातायात बाधित न हो और किसी भी प्रकार की जान-माल की हानि न हो।"

दूसरी गाड़ियों पर असर नहीं, 1 घंटे में बहाल होगा संचालन

रेलवे विभाग का दावा है कि इस डिरेलमेंट का असर अन्य ट्रेनों के संचालन पर ज्यादा नहीं पड़ा है। ट्रैफिक को जल्द सामान्य करने के लिए इंजीनियरों और टेक्निकल टीम ने तेजी से काम किया। एक घंटे के भीतर स्थिति सामान्य कर दी जाएगी।

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आम जनता की चिंता: कहीं अगला नंबर हमारी ट्रेन का न हो?

इस घटना ने यात्रियों के मन में डर जरूर पैदा कर दिया है। लगातार हो रहे छोटे-बड़े रेल हादसे अब सामान्य होते जा रहे हैं। हालांकि इस बार कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ, लेकिन सवाल उठता है कि अगर यही मालगाड़ी तेज रफ्तार से होती, तो क्या परिणाम होते?

क्या यह सिर्फ एक तकनीकी चूक थी या सिस्टम फेलियर?

रेलवे के पास संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन ऐसे हादसे सिस्टम की लापरवाहियों को उजागर करते हैं। समय रहते डिब्बों को जोड़ लेना और ट्रैफिक सामान्य करना काबिले तारीफ है, लेकिन अगर इस चूक को नजरअंदाज किया गया, तो अगली बार यह सिर्फ मालगाड़ी नहीं होगी — जानें भी जा सकती हैं।

क्या आप मानते हैं कि रेलवे को अपनी सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैक निरीक्षण की प्रक्रिया को और कड़ा करना चाहिए? नीचे कमेंट करके बताएं। 

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