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Supreme Court ने कहा, इंटरनेट की कीमतें निर्धारित करना कोर्ट का काम नहीं, याचिका खारिज

सु्प्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह मुक्त बाजार है। यहां कई विकल्प हैं। बीएसएनएल और एमटीएनएल भी आपको इंटरनेट दे रहे हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकांश बाजार हिस्सेदारी पर जियो और रिलायंस का नियंत्रण है। 

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Mukesh Pandit
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें इंटरनेट की कीमतों को विनियमित करने का अनुरोध किया गया था। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने रजत नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं के पास इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाने के लिए कई विकल्प हैं।

'यदि आप ‘कर्टेलाइजेशन’ का आरोप लगा रहे हैं तो भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास जाइये।' सुप्रीम कोर्ट 

कहा यह मुक्त बाजार, किसी से भी लें

सु्प्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, 'यह मुक्त बाजार है। यहां कई विकल्प हैं। बीएसएनएल और एमटीएनएल भी आपको इंटरनेट दे रहे हैं। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकांश बाजार हिस्सेदारी पर जियो और रिलायंस का नियंत्रण है। इस पर पीठ ने कहा, 'यदि आप ‘कर्टेलाइजेशन’ का आरोप लगा रहे हैं तो भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास जाइये।' हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता कोई उचित वैधानिक उपाय अपनाना चाहता है तो वह ऐसा करने के लिए स्वतंत्र है।

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रिलायंस एवं जियो के प्रभुत्व पर जताई गई थी चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध विकल्पों की विविधाताओं की ओर इशारा किया। इंटरनेट सेवा के लिए व्यवहार्य विकल्पों के रूप में निजी कंपनियो के साथ बीएसएनेल और एमटीएनल जैसे राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का संदर्भ दिया। मुख्य रूप से याचिकाकर्ता ने जियो और रिलायंस जैसी प्रमुख कंपनियों के बाजार प्रभुत्व के बारे में चिंता जताई थी।

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