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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। देश की सर्वोच्च अदालत ने झारखंड विधानसभा सचिवालय में नियुक्तियों और पदोन्नति में अनियमितताओं के आरोपों की प्रारंभिक जांच शुरू करने की अनुमति मांगने वाली सीबीआई की याचिका खारिज कर दी और कहा कि केंद्रीय एजेंसी इस मशीनरी का इस्तेमाल राजनीतिक लड़ाई में क्यों कर रही है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 नवंबर को झारखंड उच्च न्यायालय के 23 सितंबर, 2024 के फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई को राज्य विधानसभा में नियुक्तियों और पदोन्नति में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया गया था।
सीबीआई ने मांगी थी प्रारंभिक जांच की अनुमति
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ सीबीआई की अंतरिम अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रारंभिक जांच शुरू करने की अनुमति मांगी गई थी। प्रधान न्यायाधीश ने जांच एजेंसी की याचिका खारिज करते हुए कहा, आप अपनी राजनीतिक लड़ाई के लिए मशीनरी का इस्तेमाल क्यों करते हैं? ... हमने आपको कई बार बताया है। झारखंड विधानसभा सचिवालय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “यह चौंकाने वाली बात है कि जब मामले सामने आते हैं तो सीबीआई पहले ही अदालत में पेश हो जाती है।
हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई शीर्ष अदालत ने रोक
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, इस मामले में ऐसा नहीं है। सिब्बल ने तर्क दिया, “केवल यहीं नहीं, पश्चिम बंगाल में भी कई मामलों में माननीय न्यायाधीशों ने इसे देखा है। विधि अधिकारी ने कहा कि कारण स्पष्ट है और जब कोई अपराध होता है तो सीबीआई सामने आती है। इससे पहले, न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई को नियुक्तियों और पदोन्नतियों में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया गया था।
झारखंड विधानसभा सचिवालय से जुड़ा है मामला
इसके बाद पीठ झारखंड विधानसभा सचिवालय और अन्य द्वारा उच्च न्यायालय के 23 सितंबर, 2024 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई थी। मामले में 14 नवंबर 2024 के बाद कोई प्रभावी सुनवाई नहीं हुई। अधिवक्ता तूलिका मुखर्जी के माध्यम से दायर एक याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने किसी आपराधिकता या संज्ञेय अपराध के अभाव में सीबीआई को इस मुद्दे की जांच करने का निर्देश देकर गलती की है, वह भी एक दीवानी मामले में जिसमें सेवा न्यायशास्त्र और अन्य के संबंध में कानून और तथ्यों के जटिल और विशुद्ध प्रश्न शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि वर्तमान मामले में कोई प्राथमिकी और गैर संज्ञेय अपराध नहीं है, जिस पर गौर किया जा सके। हाई कोर्टने यह फैसला उस याचिका पर सुनाया था जिसमें झारखंड विधानसभा में सार्वजनिक रोजगार के मामले में कथित अनियमितताओं का मुद्दा उठाया गया था।
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