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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क।देशभर में कुत्तों को लेकर उठे विवादों के बीच शुक्रवार को देश की सुप्रीम अदालत उस महत्वपूर्ण फैसले का ऐलान करेगी, जिसमें दिल्ली और आसपास के चार जिलों नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद से आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर में रखने के आदेश को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश 8 अगस्त को जारी हुआ था और अब सवाल है कि इसे रोका जाएगा, संशोधित किया जाएगा या जस का तस लागू रहेगा। इस मुद्दे को लेकर देशव्यापी बहस छिड़ी हुई है। पशु प्रेमी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं तो कुत्ता पीड़ित वर्ग फैसले के समर्थन में डटा हुआ है। आज के फैसले पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।
फैसला का हुआ था विरोध
कोर्ट ने 11 अगस्त को जो फैसला सुनाया था उसका बाद में बहुत विरोध हुआ था। दिल्ली के इंडिया गेट पर पशु प्रेमियों ने कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कैंडल मार्च भी निकाला था। साथ ही मांग की थी कि कोर्ट अपने इस फैसले को वापस लें। कोर्ट में लोगों की बढ़ती याचिकाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए तीन जजों की एक नई बेंच का गठन किया था। आलोचना के बाद और नई याचिकाओं के मद्देनज़र, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने मामले को पारदीवाला बेंच से वापस लेकर तीन जजों की बड़ी बेंच (न्यायमूर्ति नाथ के नेतृत्व में) को सौंपा। इस बेंच ने 14 अगस्त को लंबी सुनवाई की और फैसला सुरक्षित रखा था, जो अब शुक्रवार को सुनाया जाएगा।
तीन जजों की पीठ सुनाएगी फैसला
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ (न्यायमूर्ति संदीप मेहता और एनवी अंजरिया के साथ) यह तय करेगी कि आदेश पर पूरी तरह रोक लगे या इसमें बदलाव हो या इसे बरकरार रखा जाए। 8 अगस्त को जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने आदेश दिया था कि आठ हफ्तों में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर स्थायी शेल्टरों में रखा जाए और उन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए। बाद में लिखित आदेश में इसे फरीदाबाद तक बढ़ा दिया गया। साथ ही, 5,000 क्षमता वाले शेल्टर आठ हफ्तों में बनाने का निर्देश भी दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उठने लगे थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तुरंत विवाद खड़ा हो गया। कई एनजीओ और पशु कल्याण समूहों ने कहा कि यह ‘प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स एक्ट’ और ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों’ के खिलाफ है। इन नियमों के अनुसार, कुत्तों का नसबंदी और टीकाकरण कर उन्हें उसी इलाके में वापस छोड़ना होता है, न कि बड़े पैमाने पर शेल्टरों में बंद करना।सुनवाई के दौरान जजों की बेंच ने दिल्ली सरकार और नगर निगमों को फटकार लगाई कि वे अपने ही बनाए नियमों को लागू नहीं कर रहे। अदालत ने कहा कि इंसानों की सुरक्षा और पशु-कल्याण, दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि वह कानून का पालन करेगी या नहीं।
सरकार और विपक्षी पक्षों की दलीलें
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बच्चों पर हमलों और डॉग बाइट से मौतों के उदाहरण देते हुए कहा कि तुरंत हस्तक्षेप ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि कुत्तों को मारना नहीं है, लेकिन अलग करना, नसबंदी और इलाज करना जरूरी है। जबकि सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा समेत कई वरिष्ठ वकीलों ने एनजीओ की ओर से कहा कि यह आदेश अवैध और अमान्य है। उन्होंने सरकार के अपने आंकड़े दिखाए कि दिल्ली में हाल में डॉग बाइट से कोई मौत नहीं हुई, जिससे आदेश की आधारहीनता उजागर होती है।
आदेश में पशु-कल्याण शर्तें
11 अगस्त को जारी लिखित आदेश में शेल्टर में कुत्तों के साथ क्रूरता न हो, उन्हें भूखा न रखा जाए, भीड़भाड़ से बचा जाए, कमजोर कुत्तों को अलग रखा जाए और समय पर पशु-चिकित्सा मिले- जैसी शर्तें भी जोड़ी गईं। साथ ही, एनिमल वेलफेयर बोर्ड की मंजूरी से गोद लेने की अनुमति दी गई, लेकिन गोद लिए कुत्तों को सड़क पर छोड़ने पर कड़ी कार्रवाई का निर्देश था। Delhi NCR stray dogs | Delhi NCR Street Dogs | buzz street dogs | Delhi dog bite incidents | dog bite news 2024 | Delhi stray dogs removal Dog Lovers