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World Press Freedom Day: प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति जटिल, चौथे स्तंभ को बचाने की बड़ी चुनौती

प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। पत्रकार और मीडिया वह पुल हैं जो जनता को सच से जोड़ते हैं। यह दिन उन सभी पत्रकारों को सम्मान देने का अवसर है जो ईमानदारी और निडरता से सच्चाई सामने लाने का काम कर रहे हैं।

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Mukesh Pandit
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World Press Freedom Day: प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। पत्रकार और मीडिया वह पुल हैं जो जनता को सच से जोड़ते हैं। यह दिन उन सभी पत्रकारों को सम्मान देने का अवसर है जो ईमानदारी और निडरता से सच्चाई सामने लाने का काम करते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े। अगर मीडिया स्वतंत्र नहीं होगा तो गलत जानकारी फैल सकती है। इसलिए 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मान्यता दी। यह दिन 1991 में बनी विंडहोक घोषणा की याद में मनाया जाता है, जिसमें अफ्रीकी पत्रकारों ने आजाद प्रेस की जरूरत को बताया था।

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विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना, पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन लोगों को श्रद्धांजलि देना है जिन्होंने सत्य को उजागर करने में अपने प्राण गंवाए। यह दिन लोकतंत्र, पारदर्शिता और सत्य के लिए पत्रकारिता की अपरिहार्य भूमिका को याद दिलाता है। हमारे देश में, प्रेस स्वतंत्रता एक जीवंत मीडिया परिदृश्य और कई चुनौतियों का मिश्रण है। BJP Press Conference | bjp press not present

भारतीय पत्रकारों के प्रयास

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हिंसा, राजनीतिक दबाव और कानूनी प्रतिबंधों जैसी समस्याओं के बावजूद, भारतीय पत्रकार साहस के साथ सत्य को सामने लाने का प्रयास करते रहे हैं, और यह सिलसिला जारी है। इस दिन को मनाने के लिए, सरकारों को पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, स्वतंत्र मीडिया को समर्थन देने और गलत सूचना से लड़ने के लिए कदम उठाने चाहिए। नागरिक समाज भी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करके और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाकर इस प्रयास में योगदान दे सकता है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाया जाता है?

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने का प्राथमिक उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना और इसके महत्व को रेखांकित करना है। प्रेस को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, क्योंकि यह सरकारों और शक्तिशाली संस्थाओं को जवाबदेह रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिन निम्नलिखित कारणों से मनाया जाता है:

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा: 

यह दिन 1948 के मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 19 को याद दिलाता है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। प्रेस की स्वतंत्रता के बिना, नागरिकों को सटीक और निष्पक्ष जानकारी प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है।

पत्रकारों की सुरक्षा: 

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पत्रकार अक्सर अपनी जान जोखिम में डालकर सच्चाई को सामने लाते दुनियाभर में पत्रकारों पर हमले और हिंसा के मामले आम हैं। यह दिन पत्रकारों की सुरक्षा के लिए सरकारों को जवाबदेह ठहराने और सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर देता है।

मीडिया स्वतंत्रता का आकलन: यह दिन दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति का मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है, जिसमें सेंसरशिप, राजनीतिक दबाव और आर्थिक बाधाओं जैसे मुद्दे शामिल हैं।

श्रद्धांजलि: यह उन पत्रकारों को सम्मानित करता है जिन्होंने कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाई। यूनेस्को की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 15 वर्षों में 44 पर्यावरण पत्रकारों की हत्या हुई है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 का महत्व

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2025 का महत्व वैश्विक स्तर पर पत्रकारिता और लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस की अपरिहार्य भूमिका को रेखांकित करता है। यह दिन निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

लोकतंत्र की रीढ़: स्वतंत्र प्रेस लोकतंत्र का आधार है, क्योंकि यह नागरिकों को सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्रदान करता है। यह सरकारों को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखता है।

पर्यावरण और अन्य मुद्दों पर जागरूकता: 2024 की थीम “ग्रह के लिए एक प्रेस: पर्यावरण संकट के लिए पत्रकारिता” ने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने में पत्रकारिता की भूमिका पर प्रकाश डाला। 2025 की थीम संभवतः कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के पत्रकारिता पर प्रभाव जैसे उभरते मुद्दों पर ध्यान देगी।

पत्रकारों को सम्मान: यह दिन उन पत्रकारों को सम्मानित करता है जो कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। यूनेस्को द्वारा गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज जैसे पुरस्कार प्रेस स्वतंत्रता के लिए उल्लेखनीय योगदान को मान्यता देते हैं।

जागरूकता और कार्रवाई: यह सरकारों, संस्थानों और नागरिकों को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह गलत सूचना से लड़ने और नैतिक पत्रकारिता को समर्थन देने की आवश्यकता पर भी बल देता है।

भारत में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति

भारत में प्रेस स्वतंत्रता की स्थिति जटिल है, क्योंकि यह एक जीवंत मीडिया परिदृश्य और कई चुनौतियों का सामना करता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(क) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जिसे 1984 के इंडियन एक्सप्रेस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस की स्वतंत्रता के रूप में मान्यता दी थी। फिर भी, कई कारक प्रेस की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं:

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में रैंकिंग: 2024 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 180 देशों में 159वें स्थान पर था, जो 2023 के 161वें स्थान से मामूली सुधार दर्शाता है। हालांकि, भारत का स्कोर 36.62 से गिरकर 31.28 हो गया, जो प्रेस स्वतंत्रता के लिए गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

पत्रकारों पर हिंसा: भारत में पत्रकारों पर हमले और हिंसा आम हैं। 2023 में एक पत्रकार की हत्या हुई और 10 पत्रकार जेल में थे। कश्मीर जैसे क्षेत्रों में पत्रकारों को पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा परेशान किया जाता है।

राजनीतिक और आर्थिक दबाव: सरकार और कॉरपोरेट समूहों द्वारा मीडिया पर दबाव एक बड़ी चुनौती है। मीडिया स्वामित्व कुछ बड़े समूहों के पास केंद्रित है, जो संपादकीय स्वतंत्रता को प्रभावित करता है।

कानूनी प्रतिबंध: अनुच्छेद 19(2) के तहत प्रेस की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध हैं, जैसे कि भारत की संप्रभुता, राज्य की सुरक्षा, और सार्वजनिक व्यवस्था से संबंधित मामले। इसके अलावा, मानहानि और देशद्रोह जैसे कानूनों का दुरुपयोग पत्रकारों को डराने के लिए किया जाता है।

मीडिया का विकास: भारत में 100,000 से अधिक समाचार पत्र और 380 टीवी समाचार चैनल हैं, जो एक जीवंत मीडिया परिदृश्य को दर्शाते हैं। हालांकि, 1975 की इमरजेंसी जैसी ऐतिहासिक घटनाओं ने प्रेस पर सेंसरशिप के उदाहरण स्थापित किए।

 

 

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