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"अतीक का बेटा बना गैंग का नया डॉन?", जानें पुलिस कैसे कर रही है खेल!

प्रयागराज में अतीक अहमद के गैंग का आतंक बरकरार, अतीक के बेटे अली अहमद के इशारे पर गुर्गे रंगदारी और जमीन कब्जा जैसे अपराध कर रहे हैं।

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Ajit Kumar Pandey
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प्रयागराज, वाईबीएन नेटवर्क । पूर्वांचल के कुख्यात माफिया अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ भले ही अब इस दुनिया में न हों, लेकिन उनके आपराधिक साम्राज्य का खौफ आज भी प्रयागराज और आसपास के इलाकों में कायम है। अतीक के गुर्गे और शूटर बेखौफ होकर जमीन कब्जा, रंगदारी और धमकी जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस की सख्ती के दावों के बावजूद ये अपराधी खुलेआम अपराध कर रहे हैं, जिससे स्थानीय लोग दहशत में हैं।

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कटहुला गांव में रंगदारी का ताजा मामला

प्रयागराज के एयरपोर्ट थाना क्षेत्र के कटहुला गांव में हाल ही में एक ठेकेदार से 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पीड़ित अशोक कुमार पाल ने बताया कि वह पेशे से ठेकेदार हैं और मकान निर्माण का काम करते हैं। 8 अप्रैल को जब वह अपनी साइट पर काम कर रहे थे, तभी अतीक अहमद का कुख्यात शूटर अजय पाल उर्फ नन्हा पाल अपने गुर्गों के साथ वहां पहुंचा।

prayagraj | Brutal Crime Stories : नन्हा पाल ने अशोक से 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। जब अशोक ने इसका विरोध किया, तो गुर्गों ने उन्हें घेरकर हॉकी और डंडों से बेरहमी से पीटा। नन्हा पाल ने पिस्टल की बट से अशोक के सिर पर वार किया, जिससे उनका सिर फट गया और वह बेहोश होकर गिर पड़े। नन्हा ने धमकी दी कि अगर रंगदारी नहीं दी गई, तो अशोक और उनके परिवार को जान से मार दिया जाएगा।

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पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप

अशोक पाल ने बताया कि यह पहली बार नहीं है। नन्हा पाल पहले भी तीन बार उनसे रंगदारी मांग चुका है। इस बार उन्होंने एयरपोर्ट थाने में नन्हा पाल, चंद्रशेखर पाल और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ लिखित शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने केवल एनसीआर दर्ज कर मेडिकल करवाया। गंभीर चोटों के बावजूद पुलिस ने अभी तक FIR दर्ज नहीं की और न ही किसी आरोपी को गिरफ्तार किया गया। अशोक की हालत बिगड़ती जा रही है, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता से वह और उनके परिवार वाले डरे हुए हैं।

नन्हा पाल: अतीक का खास गुर्गा

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अजय पाल उर्फ नन्हा पाल अतीक अहमद का खास शूटर रहा है और उसका अपराधिक इतिहास पुराना है। वह बमबाजी में माहिर था, जिसके चलते एक हादसे में उसका एक हाथ भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। साल 2021 में पुलिस ने अतीक गैंग के खिलाफ कार्रवाई के दौरान नन्हा पाल के अवैध मकान को बुलडोजर से ढहा दिया था। इसके दो भाइयों का भी पुलिस मुठभेड़ में अंत हो चुका है। फिर भी, नन्हा पाल आज भी पुलिस की नाक के नीचे अपराध कर रहा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि नन्हा पाल को कुछ पुलिस अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। यही वजह है कि अतीक गैंग से उसका संबंध होने के बावजूद उसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही।

अतीक का बेटा चला रहा गैंग

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सूत्रों के मुताबिक, अतीक अहमद का बेटा अली अहमद जेल से ही गैंग का संचालन कर रहा है। अली के इशारे पर नन्हा पाल जैसे गुर्गे रंगदारी, जमीन कब्जा और धमकी जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। प्रयागराज के अलावा कौशांबी जैसे पड़ोसी जिलों में भी अतीक गैंग की दहशत बरकरार है।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अतीक गैंग की आपराधिक गतिविधियां पहले की तुलना में कम हुई हैं, लेकिन आर्थिक अपराध जैसे रंगदारी और जमीन कब्जा अब भी जारी हैं। इसकी जांच के लिए पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी के निर्देश पर चार विभागों की संयुक्त टीम गठित की गई है।

एसीपी धूमनगंज अजेंद्र यादव का बयान

एसीपी धूमनगंज अजेंद्र यादव ने बताया कि मामले की जांच चल रही है और एनसीआर दर्ज की गई है। अगर यह मामला अतीक गैंग से जुड़ा है, तो अलग से जांच की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि कोई भी अपराधी बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस पश्चिमी प्रयागराज में अतीक के गुर्गों के खिलाफ सघन अभियान चला रही है।

प्रयागराज में अतीक अहमद का आपराधिक साम्राज्य भले ही कमजोर हुआ हो, लेकिन उसके गुर्गों का आतंक अब भी लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस की निष्क्रियता और अपराधियों को मिल रहे कथित संरक्षण के चलते आम लोग डर के साए में जी रहे हैं। जरूरत है सख्त कार्रवाई की, ताकि अतीक गैंग का खौफ पूरी तरह खत्म हो सके।

NCR (Non-Cognizable Report) और FIR (First Information Report) में अंतर

NCR (गैर-संज्ञेय रिपोर्ट) 

पुलिस कार्रवाई: NCR में पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी या जांच नहीं कर सकती।

मामले की गंभीरता: छोटे अपराध, जैसे—मामूली मारपीट, गाली-गलौज, या 500 रुपये से कम की चोरी।

कोर्ट का दखल: पीड़ित को सीधे कोर्ट जाना पड़ता है, पुलिस केवल रिपोर्ट दर्ज करती है।

FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट)

पुलिस कार्रवाई: संज्ञेय अपराध (जैसे—हत्या, रेप, डकैती) में पुलिस तुरंत जांच व गिरफ्तारी कर सकती है।

मामले की गंभीरता: गंभीर और संज्ञेय (Cognizable) अपराध।

कोर्ट प्रक्रिया: FIR के आधार पर केस चलता है, पुलिस जांच कर कोर्ट में चार्जशीट पेश करती है।

NCR कितना कारगर?

  • NCR का सीमित प्रभाव होता है क्योंकि पुलिस सीधे कार्रवाई नहीं कर सकती।
  • अगर अपराधी शक्तिशाली हो, तो NCR दर्ज कराने का कोई खास फायदा नहीं मिलता।
  • कमजोर प्रक्रिया: पीड़ित को खुद कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है, जो समय और पैसे की बर्बादी हो सकती है।

NCR सिर्फ रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए होता है, जबकि FIR पुलिस को कानूनी कार्रवाई का अधिकार देती है। गंभीर मामलों में NCR बेअसर हो सकता है।

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